विद्यार्थियों आज मैं आपको Mp Board class 11th hindi ardhvaarshik paper 2023 देने जा रहा हूं
जैसा कि आप सभी पहले से ही जानते होंगे कि हमारे द्वारा दिए गए प्रश्न पत्र आपको परीक्षा में देखने के लिए मिलते हैं हमारा प्रयास हमेशा से यह रहता है कि हर विद्यार्थी परीक्षा में टॉप करें मतलब अच्छे अंक प्राप्त करें और आगे बड़े विद्यार्थियों अगर आप STUDY NOTES PJ से पहले जुड़े हुए हैं तो आप सभी को पता होगा कि इसके पहले में आप सभी की कितनी मदद कर चुका हूं अर्धवार्षिक परीक्षा में भी संपूर्ण मदद करने का प्रयास करूंगा बस आप सभी को इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों तक शेयर करना है
BOARD TYPE | MP BOARD |
EXAM TYPE | अर्धवार्षिक परीक्षा 2023 |
SUBJECT | HINDI |
EXAM DATE | 7 दिसंबर 2023 |
CLASS | 11th |
PAPER TYPE | VIRAL PAPER |
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जी हां विद्यार्थियों आप सभी ने सही सुना आप सभी के लिए मैं संपूर्ण पेपर का हल करने वाला हूं यही नहींऔर सुनिए Mp Board class 11th hindi ardhvaarshik paper 2023 की संपूर्ण पीडीएफ PDF भी देने जा रहा हूं हमेशा की तरह आपको प्यार दिखाना है चैनल को सब्सक्राइब करना है इस पोस्ट को शेयर करना है
विद्यार्थियों तो देखा आप सभी ने Mp Board class 11th hindi ardhvaarshik paper 2023 की VIRALफोटो को
जी हां विद्यार्थियों परीक्षा से कुछ ही समय पहले Mp Board class 11th hindi ardhvaarshik paper 2023 की यह फोटोस वायरल हो रही हैं जो मैंने आपको अभी दिखाई हैं आप सभी की मदद करने के लिए ही मैंने आपको SOLUTIN प्रोवाइड कराया है
Mp Board class 11th hindi ardhvaarshik paper 2023 Full Solution
कक्षा 11 वी
विषय -Hindi
कक्षा 11 वी
विषय -हिन्दी
प्रश्न क्रमांक 1 का उत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प उत्तर
(i) (अ) चार कालों में,
(ii) (अ) लक्ष्मी के मन्दिर का कँगूरा,
(iii) (अ) कहानी,
(iv) (स) कानपुर,
(v) (स) द हिन्दू,
(vi) (ब) उदंत मार्तण्ड
प्रश्न 2 रिक्त स्थान उत्तर
(i) प्रगतिवाद
(ii) विष
(iii) छ:
(iv) यात्रा वृत्तांत
(v) वीणा
(vi) अन्तरक्रियात्मक
प्रश्न 3. सही जोड़ी उत्तर
(i) रीतिकाल
(ii) सबसे खतरनाक
(iii) हरिवंश राय ‘बच्चन’
(iv) सफेद
(V) गुजरात
(vi) हरिवंश राय ‘बच्चन’
प्रश्न 4 एक शब्द उत्तर
(i) जयशंकर प्रसाद
(ii) प्रकृति से
(iii) प्रेमचंद
(iv) सेक्रेटेरियेट के लॉन में,
(v) गुफाओं में
(vi) संजय
प्रश्न 5. सत्य असत्य उत्तर
(i) असत्य
(ii) सत्य
(iii) सत्य
(iv) सत्य
(v) असत्य
(vi) सत्य
प्रश्न क्रमांक 6 का उत्तर
उत्तर- भक्तिकाल की निम्नलिखित विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) हैं- (1) ईश्वर भक्ति, (2) गुरु महिमा, (3) सादा जीवन, (4) समन्वय की भावना, (5) राज्याश्रय से मुक्ति, (6) विविध रसों का परिपाक, (7) भाषा की विविधता। प्रमुख दो कवि- (1) तुलसीदास, (2) सूरदास ।
प्रश्न क्रमांक 7 का उत्तर
उत्तर – भक्तिकाल की निम्नलिखित विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) हैं-
भक्तिकाल की दो प्रवृत्तियाँ लिखिए।
(1) ईश्वर भक्ति, (2) गुरु महिमा, (3) सादा जीवन, (4) समन्वय की भावना, (5) राज्याश्रय से मुक्ति, (6) विविध रसों का परिपाक, (7) भाषा की विविधता। प्रमुख दो कवि- (1) तुलसीदास, (2) सूरदास ।
प्रश्न क्रमांक 8 का उत्तर
उत्तर- (1) निबन्धों के कलेवर में पत्रकारिता का पुट समाविष्ट है।
(2) सड़ी-गली मान्यताओं एवं रूढ़ियों का प्रबल विरोध है।
(3) शैली सरस, हृदयस्पर्शी एवं मनभावन है। (4) निबन्धकार अंधानुकरण के घोर विरोधी थे।
प्रश्न क्रमांक 9 का उत्तर
उत्तर-लेखिका कृष्णा सोबती एक दिन जामा मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गड़ैया मुहल्ले से गुजरी तो उन्होंने एक साधारण सी अँधेरी दुकान पर पटापट आवाज के साथ ढेर सारे आटे को सनते हुए देखा तो उनके मन में जिज्ञासा जागी कि इतना सारा आटा क्यों माना
जा रहा है ? जब उन्हें पता चला कि रोटियों के लिए साना जा रहा है तो रोटियों की कारीगरी तथा उसके नानबाई के विषय में जानने के लिए लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास गई थीं।
प्रश्न क्रमांक 9 का उत्तर
उत्तर-लेखिका कृष्णा सोबती एक दिन जामा मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गर्दैया मुहल्ले से गुजरी तो उन्होंने एक साधारण सी अँधेरी दुकान पर पटापट आवाज के साथ ढेर सारे आटे को सनते हुए देखा तो उनके मन में जिज्ञासा जागी कि इतना सारा आटा क्यों मान जा रहा है ? जब उन्हें पता चला कि रोटियों के लिए साना जा रहा है तो रोटियों की कारीगरी तथा उसके नानबाई के विषय में जानने के लिए लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास गई थीं।
प्रश्न क्रमांक 10 का (अथवा) उत्तर
उत्तर:-भाव-पल्लवन-वैर का उद्गम स्थल क्रोभ है। क्रोष ही आगे चलकर और में हो जाता है। जब कोई इन्सान किसी का अहित करता है तब अन्य मनुष्य जिसका अहित किया है. वह भी क्रोध के वशीभूत होकर इसके बदले में अहित करने के लिए उद्यान हो जाता है। यदि यह बदला (प्रतिकार) लेने में असफल सिद्ध होता है तो उसका क्रोध बहुत काल तक उसके हृदय में बना रहता है। प्रतिकार कर लेने पर क्रोध का शमन हो जाता है। बहुत समय तक विद्यमान रहने वाले क्रोध को ही बैर को कोटि में स्थापित किया गया है। क्रोध के बेर बनने को प्रक्रिया के फलस्वरूप हो इसे क्रोध का अचार या मुरबे की मंज्ञा से विभूषित किया गया है। जिस प्रकार विशेष ढंग से तैयार किया गया मुरब्बा अधिक टिकाऊ बन जाता है, वैसे ही बहुत समय तक हृदय में स्थित क्रोध और का रूप धारण कर लेता है।
प्रश्न क्रमांक 11 का उत्तर
उत्तर-लता के गायन की दो प्रमुख विशेषताएँ क्रमशः ‘गानपन’ एवं ‘स्वरों की निर्मलता’ हैं।
प्रश्न क्रमांक 12 का उत्तर
उत्तर-शब्द-युग्म के निम्नलिखित छः प्रकार होते हैं-
(1) पुनरुक्त शब्द-युग्म,
(2) सजातीय या समवगर्गीय शब्द-युग्म,
(3) समानार्थक शब्द-युग्म,
(4) विपरीतार्थक शब्द-युग्म
(5) सार्थक निरर्थक यां संदबद्ध शब्द युग्म
(6) निरर्थक शब्द-युग्म।
प्रश्न क्रमांक 13 का (अथवा) उत्तर
कोई दो तकनीकी शब्द लिखिए।
उत्तर- ऊतक, रेखाचित्र।
प्रश्न क्रमांक 14 का उत्तर
उत्तर-मीरा का कहना है कि उसके अनुसार कृष्ण अनश्वर हैं अर्थात् अविनाशी हैं।
उन्हें पाने के लिए सच्चे मन और भक्ति-भाव के साथ प्रभु के स्मरण में लीन होना पड़ता है। ऐसा करने से वह सहजता के साथ प्राप्त हो जाते हैं।
प्रश्न क्रमांक 15 का उत्तर
प्रश्न क्रमांक 16 का उत्तर
रचनाएँ- (1) युगान्त, (2) युगवाणी, (3) ग्राम्या-प्रगतिशील विचारधारा की मानवतावादी कविताएँ, (4) स्वर्ण किरण, (5) स्वर्ण धूलि, (6) युगपथ,
भाव पक्ष – (1) सुकुमार भावना और कोमल कल्पना पंत जी स्वभाव से अत्यन्त कोमल और सुकुमार स्वभाव के थे। अतः उन्होंने अपने काव्य में कोमल बिम्बों का ही विधान किया है। उन्हें ‘कोमल भावनाओं का सुकुमार कवि’ कहा जाता है।
कला पक्ष – (1) सशक्त भाषा-पंत जी की भाषा कोमलकान्त पदावली से युक्त, सहज और सुकुमार है। उसमें चित्रमयता, लालित्य और ध्वन्यात्मकता विद्यमान है। माधुर्य प्रधान अनूठा शब्द चयन है। भावानुसार भाषा कोमलता को त्यागकर भयानकता को प्राप्त हो उठती है।
साहित्य में स्थान – पंत जी का काव्य, भाव और कला दोनों पक्षों में सशक्त और समृद्ध है। भाव कल्पना, चिन्तन, कला सभी दृष्टियों से काव्य उत्कृष्ट है। आधुनिक हिंदी साहित्य के शीर्षस्य कवियों में पंत जी का अति महत्वपूर्ण स्थान है।
प्रश्न क्रमांक 17 का उत्तर
रचनाएँ-प्रेमचंद ने कहानी, नाटक, जीवन-चरित्र, निबन्ध तथा सम्पादन के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है।
(क) उपन्यास-‘कर्मभूमि’, ‘कायाकल्प’, ‘निर्मला’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘प्रेमाश्रय’, ‘वरदान’ ‘सेवासदन’, ‘रंगभूमि’, ‘गबन’, ‘गोदान’ और ‘मंगलसूत्र’ (अपूर्ण)
भाषा-प्रेमचंद की भाषा के दो रूप हैं-एक रूप तो जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है, जैसे ‘तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया।’ दूसरा रूप जिसमें उर्दू, संस्कृत और हिंदी के व्यावहारिक शब्दों का प्रयोग किया गया है, जैसे-पीर का मजार, फुरसत, रोजनामचे ।
प्रेमचंद की भाषा चुलवली है जिसमें मुहावरों कहावतों का प्रयोग है।
प्रश्न क्रमांक 18 का उत्तर
उत्तर -इंटरनेट जनसंचार का सबसे नया व लोकप्रिय माध्यम है। इंटरनेट में प्रिंट मीडिय रेडियो, टेलीविजन, किताब, सिनेमा, पुस्तकालय आदि सभी के गुण हैं। इसकी पहुँच दुनिया के कोने कोने तक है। विश्वव्यापी जाल के भीतर जमा करोड़ों पन्नों में से हम पलभर में अपन पन्ना निकाल लेते हैं। चैट कर लेते हैं। यह एक अंतरक्रियात्मक माध्यम है अर्थात् हम एक मुक दर्शक न होकर बहस कर सकते हैं। इसके विश्वव्यापी जाल के माध्यम से पलभर में पूरे विश्व के ज्ञान और मनोरंजन का अंग बना जा सकता है हम अपना सन्देश विश्वभर तक पहुँचा सकते हैं। इसने हमें विश्वग्राम का सदस्य बना दिया है। आज सारा विश्व इसमें सिमट कर रह गया है।
प्रश्न क्रमांक 19 का उत्तर
उत्तर-(1 ) शीर्षक’ कर्मवीर सर्वत्र जयते’।
(2) भावार्थ – प्रस्तुत काव्यांश में कर्मवीरों का जयघोष करते हुए कवि कहता है कि संकटों एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी साहसो लोग भयग्रस्त नहीं होते। वे तो जिस कार्य को करने की ठान लेते हैं उसे पूर्ण करके ही दम लेते हैं। कर्मवीरों को मार्ग की सुविधाएँ अथवा विपदाएँ कभी भी विचलित नहीं करती हैं।
(3) संकटों में वीर कभी भी घबराते नहीं है।
प्रश्न क्रमांक 20 का उत्तर
शब्दार्थ – गुहा = गुफा। सरीखी समान, सदृश। दारुण घोर, कठोर, निर्दयी। दैन्य – गरीबी, दीनता। नीरव = शब्द रहित। रोदन रोना। कगार किनारा। सदृश समान। संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ के पाठ ‘वे आँखें’ से अवतरित हैं। इसके रचयिता ‘सुमित्रानंदन पंत’ हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने शोषित एवं दमित भारतीय किसान को दयनीय दशा का मार्मिक चित्रण किया है।
व्याख्या- हैरान-परेशान किसान की व्यथा का मार्मिक चित्रण करता हुआ कवि कहता है कि दुःखी किसान की आँखें किसी गहरी अंतहीन गुफा जैसी दिखती हैं जिसमें दूर-दूर तक गहन अंधेरा छाया हुआ है। ऐसी आँखों को देखकर मन में एक अज्ञात भय का अनुभव होने लगता है। उन आँखों में अत्यधिक वेदना, दीनता और दुःख-पीड़ा का मौन रुदन भरा हुआ है।
यह पीड़ा इतनी अधिक है कि उनकी आँखों में देखने तक का साहस नहीं होता। कभी यह किसान स्वतंत्र था और इस स्वतंत्रता का उसे गर्व भी था। जो उसकी आँखों में स्पष्ट दिखाई देता था किन्तु स्वाधीनता के बाद नीति-नियंताओं ने उसकी सुध तक नहीं ली। वह महाजन-साहूकारों के चंगुल में फँसता चला गया। शासक वर्ग के लोग उसे बोच मंझधार में खेड़कर किनारे की ओर खिसक गये। अर्थात् मुसीबत के समय संसार में किसी ने भी आका साथ नहीं दिया। उसे भाग्य-भरोसे शोषित होने के लिए उसके हाल पर छोड़ दिया गया। काव्य सौन्दयं (1) आँखों को ‘अंधकार की गुहा सरीखी’ बताने में उपमा अलंकार शव दारुण दैन्य दुख’ में अनुप्रास अलंकार का सुन्दर प्रयोग किया गया है। (2) संस्कृतनिष्ठ शब्दावली है। खड़ी बोली भाषा का प्रयोग है। (3) करुण रस विद्यमान है।
प्रश्न क्रमांक 21 का उत्तर
संदर्भ-
प्रसंग-मुंशी वंशीधर ने पं. अलोपीदीन की नमक से भरी गाड़ियाँ जो पुल के पार जा रही थी, पकड़ लीं तथा पंडित जी को बुलाया। पं. अलोपीदीन ने पैसे के माध्यम से इस घटना का हल निकालना चाहा। इस घटना का बड़ा सटीक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
व्याख्या-पंडित अलोपीदीन अपने सजीले रथ पर अर्द्धनिद्रा में गाड़ियों के साथ पुल पार कर रहे थे तभी उन्हें गाड़ियों के पकड़े जाने का सन्देश मिला परन्तु पंडित तनिक भी नहीं घबराए क्योंकि उनका विश्वास था कि धन को रिश्वत देकर दारोगा साहब को प्रसन्न कर दूँगा जिससे गाड़ियाँ छूट जाएँगी। पंडित जी को पूर्ण भरोसा था कि धन से पृथ्वी के देवता तो क्या स्वर्ग के देवता को भी मनाया जा सकता है। लक्ष्मी का सर्वव्यापी राज्य है। उनके इस कथन में शत-प्रतिशत सच्चाई थी। आज के इस भौतिकतावादी संसार में धन ही सब कुछ है। धन से ही न्याय का पक्ष जीता जा सकता है तथा धन ही आदर्श है। समस्त संसार धन का ही गुलाम
है तथा धन के संकेत पर ही नाचता है।
विशेष (1) भाषा उर्दू मिश्रित, सरल, खड़ी बोली। (2) वाक्य गठन लघु परन्तु अर्थ-पूरित।
प्रश्न क्रमांक 22 का उत्तर
सेवा में,
सचिव,
माध्यमिक शिक्षा मण्डल,
विदिशा (म. प्र.)
म. प्र., भोपाल
विषय-पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन के सन्दर्भ में।
मनेवेर,
सविनय निवेदन है कि मैंने हाल ही में राजकीय उब्चतर माध्यमिक विद्यालय, विदिशा से कक्षा 10वीं की परीक्षा अनुक्रमांक 30708 के साथ अच्छे अंकों से उत्तीर्ण को है किन्तु गणित विषय में आशानुरूप अंक न आने के कारण में प्रथम श्रेणी नहीं पा सका हूँ। मेरी गणित की परीक्षा काफी अच्छी हुई थी और मैंने शत-प्रतिशत प्रश्न हल किये थे। मेरे आकलन के अनुसार मेरे कम-से-कम 90-95 अंक आने चाहिए थे, जबकि आगे हैं मात्र 42. अतः श्रीमान् जी से विनय प्रार्थना है कि वे प्राथों की गणित विषय की उत्तर-पुस्तिका खुलवाने व उसका पुनर्मूल्यांकन करवाने की व्यवस्था करें। आपकी अति कृपा होगी।
दिनांक: 15.08.20
सुदेश भोसले 31. गाँधी कॉलोनी
प्रश्न क्रमांक 23 का उत्तर
सरूपरेखा- वृद्धि का साधन (5) समाचार पत्रों का महत्व (6) समाचार पत्र का दायित्व, (7) युद्धकाल एवं प्राकृतिक आपदा में समाचार पत्र का दायित्व, (8) हानियाँ, (9) उपसंहार ।। कर प्रस्तावना प्राचीन काल में मनुष्य की जिन्दगो आधुनिक युग की तरह प्रगतिशील नहीं को किक भी उनके मनमानस में समाचार जानने को आकांक्षा छिपी हुई थी। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ इसके साथ ही मनुष्य ने यह अनुभव किया कि यह दुनिया बहुत विस्तृत है। इस बात का पता उसे अन्वेषणों के माध्यमों से हुआ। आज विज्ञान ने समस्त संसार को एक कुटुम्ब के रूप में परिवर्तित कर दिया है। आज विश्व के किसी कोने में घटित होने वाली घटना सारी दुनिया पर अपना प्रभाव डालती है। ऐसी दशा में हम एक-दूसरे के समाचार जानने के लिए उत्सुक एवं प्रतीक्षारत् रहते हैं। इस एकता की भावना ने समाचार जानने की उत्कण्ठा जाग्रत की। अतः समाचार-पत्रों की जरूरत का उसे आभास हुआ।
इतिहास- समाचार-पत्र का उद्गम तेरहवीं शताब्दी में इटली के वेनिस नगर में सत्रहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में इसका व्यापक रूप से प्रकाशन होने लगा। तत्पश्चात् धीरे-धीरे समाचार पत्रों का प्रसार पूरे विश्व में होने लगा। हुआ।
भारत में इसकी उत्पत्ति सन् 1780 को ‘बंगाल गजट’ के साथ ही हुई। वैज्ञानिक आविष्कारों में मुद्रण यन्त्रों के साथ ही समाचार पत्रों का विकास भी होता गया। आज देश का छोटे से छोटा गाँव एवं नगर समाचार-पत्र के आलोक से प्रकाशित हो रहा है।
सम्पादक एवं समाचार पत्र-समाचार पत्र के सन्दर्भ में सम्पादक का बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है। उसे अनेक समाचारों में से अनिवार्य एवं समसामयिक समाचारों का चयन करना पढ़ता है। समाचार चयन में सम्पादक की प्रतिभा, दूरदृष्टि तथा कुशल बुद्धि की आवश्यकता है। समाचार पत्र का स्तर सम्पादक की कुशलता पर निर्भर करता है। इसमें दैनिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों का सम्यक रूप से आकलन होता है।
ज्ञान-वृद्धि का साधन-समाचार पत्र का जान-वृद्धि में अपूर्व योगदान है। कहानी, नाटक, उपन्यास, कविताओं एवं साहित्यिक समीक्षाओं से पाठकों के ज्ञान में वृद्धि होती है। समाचार-पत्रों में साहित्यकारों, राजनेताओं, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों के विचारों को पढ़कर बैठना को एक नवीन दिशा प्राप्त होती है। पाठक का दृष्टिकोण व्यापक तथा उदार बनता है। इन के प्रकाश से पाठक का मन-मस्तिष्क दैदीप्यमान हो जाता है।
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NOTE :25 सेकंड के बाद ही आपको हरा कलर का डाउनलोड का बटन दिखेग
तो विद्यार्थियों में उम्मीद कर रहा हूं अभी तक आप सभी को Mp Board class 11th hindi ardhvaarshik paper 2023 तथा पेपर का फुल सोल्यूशन मिल चुका होगा मैंने PDF भी आप सभी को प्रोवाइड कराई है ताकि आप सभी को कोई भी समस्या ना हो लगातार आपके कमेंट आते रहते हैं कि सर हमें PDF भी दिया करो हमें बहुत ज्यादा समस्या होती है फाइनली मैं आप सभी को पीडीएफ भी प्रोवाइड कर दी है अब आप सभी को इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों तक शेयर करना है जिससे कि सभी की हेल्प हो पाएगी और आपको जल्दी से जल्दी मैं पेपर प्रोवाइड कर पाऊंगा आप हमारे सोशल मीडिया लिंक से भी जुड़ सकते हैं सारे लिंक में आपको प्रोवाइड करा दे रहा हूं
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निर्गुण भक्ति भाव की प्रमुख विशेषताएं लिखिए
(1) निराकार ब्रह्म में विश्वास
(2) गुरु का विशेष महत्व,
(3) माया से सावधान रहने का सन्देश
(4) विरह भाव की प्रधानता
(5) अज्ञात स के प्रति रहस्यवादी दृष्टिकोण।