10वीं हिंदी प्री बोर्ड अभ्यास प्रश्न पेपर सॉल्यूशन SET A
अभ्यास प्रश्न पत्र (सेट-अ) -2023
कक्षा 10व ीं
ववषय – विन्द
समय – 3 घंटा पूर्ाांक – 75
निर्देश –
- सभी प्रश्न करिा अनिवायय हैं |
- प्रश्न क्र. 01 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं | नििके निए 1×30=30 अंक निर्ायररत है |
- प्रश्न क्र. 06 से 17 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है | शब्द सीमा िगभग 30 शब्द है |
- प्रश्न क्र. 18 से 20 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है | शब्द सीमा िगभग 75 शब्द है |
- प्रश्न क्र. 21 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है | शब्द सीमा िगभग 120 शब्द है |
- प्रश्न क्र. 06 से 23 तक सभी प्रश्ननं के आंतररक नवकल्प नर्दए गए हैं |
- सही नवकल्प का चयि कर निखिए – (1×6=6)
i. काव्य की दृनि सेरीनतकाि कन बााँटा गया है –
(अ) र्दन भागनं में (ब) तीि भागनं में (स) चार भागनं में (र्द) सात भागनं में
ii. सूर के पर्दनं में ‘तेि की गागरी’ कहा गया है –
(अ) श्रीकृ ष्ण कन (ब) उद्धव कन (स) गननपयनं कन (र्द) सूर कन
iii. चरर्नं में निनहत मात्राओं के आर्ार पर र्दनहा है-
(अ) सममानत्रक छं र्द (ब) नवषममानत्रक छं र्द (स) अद्धय मानत्रक छं र्द (र्द) अद्धयसममानत्रक छं र्द
iv. ‘िेतािी का चश्मा’ कहािी का मूिभाव है –
(अ) नशक्षा का नवकास (ब) समाि सुर्ार (स) मूनतय किा का नवकास (र्द) र्देशभखि की भाविा
v. ‘वह र्ीरे –र्ीरे रनिे िगा’ वाक्य में नक्रयानवशेषर् का भेर्द है –
(अ) कािवाचक नक्रयानवशेषर् (ब) स्थािवाचक नक्रयानवशेषर्
(स) रीनतवाचक नक्रयानवशेषर् (र्द) पररमार्वाचक नक्रयानवशेषर्
vi. भनिािाथ और उिके हम उम्र चबूतरे के एक कनिे कन बिा र्देते थे –
(अ) नसिेमाघर (ब) नटकटघर (स) रसनईघर (र्द) िाटकघर - ररि स्थाि में सही शब्द का चयि कर निखिए – (1×6=6)
i. परशुराम अपिा गुरु, भगवाि ———–कन मािते थे | (नशव / श्रीकृ ष्ण /नवष्णु )
ii. आश्रय की बाह्य शारीररक चेिाओं कन ————– कहते हैं । (नवभाव/अिुभाव/आिम्बि)
iii. नवस्तृत किेवर वािे काव्य कन कहते ————–हैं | (दृश्य काव्य /िण्डकाव्य /महाकाव्य )
iv. ‘बािगननबि भगत’ की प्रभानतयााँ —————-तक चिती थी | (कानतयक मास/फागुि मास/चैत्र मास)
v. …………………वाक्य से नकसी नक्रया के करिे या हनिे की सामान्य सूचिा नमिती है | (नवर्ािवाचक/निषेर्वाचक/इच्छावाचक)
vi. कटाओं में बफय से ढके पहाड़ ————–की तरह चमक रहे थे | | (चााँर्दी /सनिे / मनती ) - सही िनड़ी बिाकर निखिए – (1×6=6)
स्तम्भ (अ) स्तम्भ (ब)
i ‘उत्साह’ कनवता (क) तार सप्तक
ii मािवीय नक्रयाओं का आरनप (ि) वाचाि
iii ररपनतायि की भाषा (ग) सज्जि व्यखि
iv सफे र्दपनश (घ) एक आह्वाि गीत
v िन कम बनिता हन (ड.) मािवीकरर् अिंकार
vi अज्ञेय (च) भद्रव्यखि
(छ) फ्रें च
(ि) नमतभाषी - एक वाक्य में उत्तर निखिए – (1×6=6)
i. फसि कनवता हमें नकसके करीब िे िाती है ?
ii. नवभाव के भेर्दनं के िाम निखिए ?
iii. शास्त्नं में काशी नकस िाम से प्रनतनष्ठत है ?
iv. नकस समास में प्रथम पर्द प्रर्ाि एवं अव्यय हनता है ?
v. ‘अपिा हाथ िगन्नाथ’ िनकनखि का क्या अथय है ?
vi. भनिािाथ के नपता फू ि के कटनरे में उसे क्या सािकर खििाते थे ? - सत्य / असत्य कथि निखिए – (1×6=6)
i. मुख्य गायक की आवाज़ भारी व गंभीर हनती है |
ii. र्दनहा और चौपाई वनर्यक छं र्द हैं|
iii. मािव संस्कृ नत एक अनवभाज्य वस्तु है |
iv. र्दन वर्ों के मेि कन संनर् कहते हैं|
v. रंगीि पताकाएाँ शांनत और अनहंसा का प्रतीक हैं|
vi. पढ़कर ही िेिक आभ्यंतर नववशता कन पहचािता है | - रीनतकाि कन श्रृंगारकाि क्यनं कहा िाता है ? रीनतकािीि नकसी एक कनव का िाम निखिए | (2)
अथवा
िई कनवता की कनई –र्दन नवशेषताएाँ निखिए | - तुिसीर्दास अथवा िागािुयि की काव्यगत नवशेषताएाँ निम्ननिखित नबन्र्दुओं के आर्ार पर निखिए – (2)
i. र्दन रचिाएाँ ii. किा-पक्ष - गननपयनं िे उद्धव से यनग की नशक्षा कै से िनगनं कन र्देिे की बात कही है ? (2)
अथवा
‘राम-िक्ष्मर्-परशुराम संवार्द’ पाठ के आर्ार पर राम के स्वभाव की कनई –र्दन नवशेषताएाँ निखिए | - फागुि में ऐसा क्या हनता है िन बाकी ऋतुओं से नभन्न हनता है ? (2)
अथवा
कनव िागािुयि के अिुसार फसि क्या है ? - िण्डकाव्य की कनई – र्दन नवशेषताएाँ निखिए | (2)
अथवा
स्थायी भाव एवं संचारी भाव में कनई-र्दन अंतर निखिए | - चौपाई छं र्द की पररभाषा उर्दाहरर् सनहत निखिए | (2)
अथवा
अनतशयनखि अिंकार की पररभाषा उर्दाहरर् सनहत निखिए | - आचायय रामचंद्र शुक्ल के अिुसार निबन्ध की पररभाषा नििते हुए आपके पाठ्यक्रम में सखिनित नकसी एक निबन्ध रचिा
का िाम निखिए | (2)
अथवा
कहािी एवं उपन्यास में कनई –र्दन अंतर निखिए | - स्वयं प्रकाश अथवा मन्नू भंडारी की सानहखत्यक नवशेषताएाँ निम्ननिखित नबन्र्दुओं के आर्ार पर निखिए – (2)
i. र्दन रचिाएाँ ii. भाषा-शैिी - सेिािी ि हनते हुए भी चश्में वािे कन िनग कै प्टि क्यनं कहते थे ? (2)
अथवा
बािगननबि भगत िे अपिे बेटे की मृत्यु पर अपिी भाविाएाँ नकस तरह व्यि की ? निखिए | - नबखिल्ला िााँ कन शहिाई की मंगिध्वनि का िायक क्यनं कहा गया है ? (2)
अथवा
वास्तनवक अथों में संस्कृ त व्यखि नकसे कहा िा सकता है ?
- निम्ननिखित वाक्यांश के निए एक शब्द निखिए – (2)
i. र्दन भाषाएाँ बनििे वािा |
ii. निसका वर्यि ि नकया िा सके |
अथवा
निम्ननिखित मुहावरनं का अथय नििते हुए वाक्य में प्रयनग कीनिए –
i. िूि पसीिा एक करिा
ii. गागर में सागर भरिा - बच्चें माता- नपता के प्रनत अपिे प्रेम कन कै से अनभव्यि करते हैं ? निखिए | (2)
अथवा
गंतनक कन ‘मेहितकश बार्दशाहनं का शहर’ क्यनं कहा गया है | - निम्ननिखित काव्यांश का संर्दभय-प्रसंग सनहत भावाथय निखिए – (3)
ऊर्ौ, तुम हौ अनत बड़भागी।
अपरस रहत सिेह तगा तैं, िानहि मि अिुरागी |
पुरइनि पात रहत िि भीतर, ता रस र्देह ि र्दागी ।
ज्यौं िि माहाँ तेि की गागरर, बूाँर्द ि ताकौं िागी।
अथवा
मर्ुप गुि – गुिा कर कह िाता कौि कहािी यह अपिी ,
मुरझाकर नगर रहीं पनत्तयााँ र्देिन नकतिी आि घिी |
इस गंभीर अिंत – िीनिमा में असंख्य िीवि – इनतहास ,
यह िन, करते ही रहते हैं अपिा व्यंग्य – मनिि उपहास |
- निम्ननिखित गद्ांश की संर्दभय –प्रसंग सनहत व्याख्या निखिए – (3)
बािगननबि भगत की संगीत सार्िा का चरम उत्कषय उस नर्दि र्देिा गया निस नर्दि उिका बेटा मरा | इकिौता बेटा
था वह | कु छ सुस्त और बनर्दा –सा था, नकन्तु इसी कारर् बािगननबि भगत उसे और भी मािते | उिकी समझ से ऐसे
आर्दनमयनं पर ही ज्यार्दा ििर रििी चानहए या प्यार करिा चानहए; क्यनंनक ये निगरािी और मुहब्बत के ज्यार्दा हकर्दार
हनते हैं |
अथवा
काशी में संगीत आयनिि की एक परम्परा है | यह आयनिि नपछिे कई बरसनं से संकटमनचि मंनर्दर में हनता आया है |
यह मंनर्दर शहर के र्दनक्षर् में िंका पर खस्थत है व हिुमाि ियंती के अवसर पर यहााँ पााँच नर्दिनं तक शास्त्ीय एवं उपशास्त्ीय
गायि – वार्दि की उत्कृ ि सभा हनती है | इसमें नबखिल्ला िााँ अवश्य रहते हैं | अपिे मिहब के प्रनत अत्यनर्क समनपयत
उस्तार्द नबखििा िााँ की श्रद्धा काशी नवश्विाथ िी के प्रनत भी अपार है | - ‘मीठी बनिी का महत्त्व’ नवषय पर एक अिुच्छे र्द निखिए | (3)
अथवा
एक आर्दशय नवज्ञापि की कनई तीि नवशेषताएाँ निखिए | - निम्ननिखित अपनठत काव्यांश अथवा गद्ांश कन पढ़कर पूछे गए प्रश्ननं के उत्तर निखिए – (4)
श्रम हनता सबसे अमूल्य र्ि, सब िि िूब कमाते |
सब अशंक रहते अभाव से , सब इखच्छत सुि पाते ||
रािा प्रिा िहीं कु छ हनता, हनते मात्र मिुि ही |
भाग्य-िेि हनता ि मिुि का, हनता कमयठ भुि ही ||
प्रश्न – i. उपयुयि काव्यांश का उपयुि शीषयक निखिए |
ii. ‘रािा- प्रिा िहीं कु छ हनता’ से कनव का क्या आशय है ?
iii. उपयुयि काव्यांश का भावाथय निखिए |
अथवा
कभी-कभी िक्ष्य बहुत र्दू र नर्दिाई र्देता है | संर्देह हनिे िगता है नक इस िक्ष्य कन प्राप्त कर िेंगे या िहीं | कई बार िक्ष्य प्राखप्त के
निए अिेक प्रयास करिे पर भी असफिता नमिती है | इससे मि में निराशा का भाव िागृत हन िाता है | निराशा से प्रसन्नता और
शांनत िि हन िाती है | आशा उत्सानहत करती है | निराशा का भाव अके िे िहीं आता | उसके साथ हीिता की भाविा का िन्म
हनता है | असुरक्षा का भाव आता है, तिावनं का बवंडर आ िाता है | मि उत्साहहीि हन िाता है | मि में निराशा कन िहीं आशा
कन बसिा चानहए | िन िनग िीवि में आशावार्दी रहते हैं वही नवपरीत पररखस्थनतयनं में भी िक्ष्य प्राखप्त में सक्षम हन सकते हैं |
प्रश्न – i. उपयुयि गद्ांश का उपयुि शीषयक निखिए |
ii. निराशा का भाव क्यनं िागृत हनता है ?
iii. उपयुयि गद्ांश का सारांश निखिए |
- अपिे वाडय में व्याप्त गंर्दगी कन र्दू र करिे के निए िगरपानिका अनर्कारी कन आवेर्दि – पत्र निखिए | (4)
अथवा
प्रात: कािीि सैर के िाभ बताते हुए अपिे छनटे भाई कन पत्र निखिए | - निम्ननिखित में से नकसी एक नवषय पर रुपरेिा सनहत सारगनभयत निबंर् निखिए – (4)
i. नवद्ाथी िीवि में िैनतक मूल्यनं का महत्त्व
ii. पयायवरर् प्रर्दू षर् में हमारी व्यखिगत भूनमका
iii. स्वच्छ भारत अनभयाि
iv. आिार्दी का अमृत महनत्सव
v. िि संरक्षर्
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