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Class 12 Hindi Abhyas prashn Patra Set D full solution 2023 mp board/ कक्षा 12 हिन्दी preboard paper

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Class 12 Hindi Abhyas prashn Patra Set D full solution 2023 mp board

अभ्यास प्रश्न पत्र – 2023
सेट-द
कक्षा- 12 व ीं
ववषय- विन्द

समय-3:00 घंटा पूर्ाांक- 80
निर्देश:-

  1. सभी प्रश्न अनिवाययहैं।
  2. प्रश्न क्र. 01 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं, नििके निए 1 x 32 =32 अंक आंवनटत हैंl
  3. प्रश्न क्र. 6 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। शब्द सीमा 30 शब्द है।
  4. प्रश्न क्र. 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। शब्द सीमा 75 शब्द है।
  5. प्रश्न क्र. 20 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। शब्द सीमा 120 शब्द है।

6. प्रश्न क्र. 6 से 23 तक सभी प्रश्ननं के आंतरिक नवकल्प नर्दए गए हैं।

  1. सि ववकल्प का चयन कर विखिए- (1×6=6)
    i. ‘नर्दि िल्दी िल्दी ढिता है’- गीत बच्चि के नकस काव्य संग्रह से निया गया है?
    (अ) मधुशािा (ब) नमिियानमिी (स) निशा निमंत्रर् (र्द) मधुकिश
    ii. नकस िस कन ‘िसिाि’ कहा गया है?
    (अ) करुर् (ब) शंगाि (स) भक्ति (र्द) वात्सल्य
    iii. ‘निठौत’ का अर्यहै-
    (अ) बडा भाई (ब) ससुि का पुत्र (स) िेठ का पुत्र (र्द) र्देवि का पुत्र
    iv. ‘अंगाि उगििा’ का अर्यहै-
    (अ) आग िगािा (ब) भयंकि गमी (स) गािी र्देिा (र्द) कठनि वचि कहिा
    v. मिाठी भाषा मेंनिखी गई कहािी ‘िूझ’ का नहंर्दी अिुवार्द नकया-
    (अ) श्याम मिनहि िनशी िे (ब) ओम र्ािवी िे (स) के शव प्रर्म वीि िे (र्द) ऐि फ्रें क िे
    vi. भाित मेंपहिा छापाखािा खुिा-
    (अ) 1500 में (ब)1556 में (स) 1580 में (र्द) 1599 में
  2. ररक्त स्थान में सि शब्द का चयन कर विखिए- (1×7=7)
    i. ‘कनवता के पंख िगा उडिेके मािे ……………..क्या िािे’ । (नचनडया /बच्चे/मााँ )
    ii. ‘भक्तिकाि’कन नहन्दी पद्य सानहत्य का ………मािा िाता है l (स्वर्ययुग /िित युग /प्रर्म युग )
    iii. काव्य की आत्मा …………..कन कहा िाता है। ( छन्द /अिंकाि/िस )
    iv. ‘मैिा आंचि’ उपन्यास के िेखक …………….. हैं। (फर्ीश्वििार् िेर्ु/ नवष्णुखिे/प्रेमचंर्द )
    v. —– वाक्यनं में नकसी बात कन साधािर् रूप से कहा िाता है।(संके तवाचक वाक्य/नवनध वाचक वाक्य/प्रश्न
    वाचक वाक्य )
    vi. यशनधि बाबू मूि रूप से…………… के िहिे वािे र्े। (गनिखपुि/ कु माऊं /र्दनतया )
    vii. ‘संपार्दक के िाम पत्र’ स्तम्भ ………….कन प्रनतनबंनबत किता है। (ििमत/तािाशाही/अवसिवार्द )
  3. सि जोड बनाकर विखिए – (1×6=6)
    स्तम्भ (अ ) स्तम्भ (ब )
    i. ‘बार्दि िाग’ (क)डवल्यु. एच.ऑडेि

ii. वर्य के बनििे में िगा समय (ख) नििािा
iii. ‘पहिवाि की ढनिक’ (ग) मात्रा
iv. प्रश्नबनधक निपात शब्द (घ)ओम र्ािवी
v. ‘अतीत में र्दबे पांव’ (ड.) क्या ,कब
vi. ‘ प्ले नवर्द र्द वडय ‘ (च) नचनडया
(छ)िघुवीि सहाय
(ि) फर्ीश्वििार् िेर्ु

  1. वनम्नविखित प्रश्नोीं के उत्तर एक वाक्य में उत्तर विखिए- (1×7=7)
    i. नवप्लव का वीि नकसे कहा गया है?
    ii. िहााँ उपमेय कन उपमाि से श्रेष्ठ बताया िाए, वहााँ कौि-सा अिंकाि हनता है?
    iii. नहन्दी गद्य का ििक नकसे मािा िाता है ?
    iv. भाित का संनवधाि निमायता नकसे कहा िाता है?
    v. ‘पुिरुि शब्द युग्म’ के र्दन उर्दाहिर् निक्तखए।
    vi. मुअििन-र्दडन िगि नकतिे हिाि साि पुिािा है?
    vii. कौि-सा स्तम्भ ििमत कन प्रनतनबंनबत किता है?
  2. सत्य-असत्य कथन विखिए – (1×6=6)
    i. कनवता सृिि के निए शब्द रूपी बीि कन कल्पिा की खार्द की आवश्यकता िहींहनती हैl
    ii. ‘अक्तखयााँ हरि र्दशयि की प्यासी’ में नवयनग शंगाि िस हैं।
    iii. ‘क्रं र्दि’ का अर्य प्रसन्न हनिा है।
    iv. ‘गुरुत्वाकषयर्’ तकिीकी शब्द है।
    v. कनवताओं के सार् खेिते हुए िेखक आिंर्द कन र्दन बडी शक्तियााँप्राप्त हुईं।
    vi. उल्टा नपिानमड शैिी कन र्दन भागनं में बााँटा गया है।
  3. प्रगनतवार्द के र्दन कनवयनं के िाम एवं प्रत्येक की एक -एक िचिा का िाम निक्तखए। (02अंक)
    अथवा
    िई कनवता की कनई र्दन नवशेषताएाँ /प्रवृनियााँ निक्तखए।
  4. स्नेह- सुिा से क्या आशय है? निक्तखए l (02अंक)
    अथवा
    उषा का िार्दू क्या है, औि क्यनं टू ट िहा है?
  5. प्रसार्द गुर् संपन्न कनवताओं की र्दन प्रमुख नवशेषताएाँनिक्तखए। (02अंक)
    अथवा
    कनई र्दन खंडकाव्य औि उिके िचिाकािनं के िाम निक्तखए।
  6. नविनधाभास अिंकाि की परिभाषा निक्तखए। (02अंक)
    अथवा
    िक्षर्ा शब्द शक्ति की परिभाषा उर्दाहिर् सनहत निक्तखए।
  7. निबंध कन ‘गद्य की कसौटी’ क्यनं कहा िाता है ? (02अंक)
    अथवा

शुक्लयुग के गद्य की र्दन प्रमुख नवशेषताएाँ निक्तखए |

  1. िगाि ि चुकािे पि िमींर्दाि िे भक्तिि कन क्या सिा र्दी? (02अंक)
    अथवा
    ‘पचेनिंग पावि’ से िेखक िैिेन्द्र कु माि का क्या आशय है?
  2. िनकनक्ति औि मुहाविे में र्दन प्रमुख अंति निक्तखए । (02अंक)
    अथवा
    ‘तकिीकी शब्द’ नकसे कहते हैं ?उर्दाहिर् सनहत निक्तखए ।
  3. िाष्ट्रभाषा की र्दन प्रमुख नवशेषताएाँ निक्तखए। (02अंक)
    अथवा
    िािभाषा नकसे कहते हैं? नकन्ीं र्दन िाज्य की िािभाषा निक्तखए।
    14 नसल्वि वैंनडग का आयनिि क्यनं हुआ र्ा ? (02अंक)
    अथवा
    यशनधि बाबू के चरित्र की र्दन प्रमुख नवशेषताएाँ निक्तखए।
  4. एक अच्छे िेखि के निए ध्याि र्देिे यनग्य र्दन प्रमुख बातेंनिक्तखए l (02अंक)
    अथवा
    एक सफि साक्षात्काि कताय के कौि- कौि से गुर् हनते हैं? संनक्षप्त में निक्तखए l
  5. निम्ननिक्तखत नबंर्दुओं के आधाि पि सूययकान्त नत्रपाठी ‘नििािा’अथवा िघुवीि सहाय के सानहत्य की
    काव्यगत नवशेषताएाँ निक्तखए- (03अंक)
    (i) र्दन िचिाएाँ (ii) भावपक्ष (iii) सानहत्य में स्र्ाि।
  6. निम्ननिक्तखत नबंर्दुओं के आधाि पि धमयवीि भािती अथवा हिािी प्रसार्द निवेर्दी का सानहक्तत्यक परिचय
    निक्तखए- (03अंक)
    (i) र्दन िचिाएाँ (ii) भाषा- शैिी (iii) सानहत्य में स्र्ाि।
  7. कं प्यूटि नशक्षकनं की आवश्यकता हेतु एक नवज्ञापि बिाकि निक्तखए । (03अंक)
    अथवा
    छात्र के कक्षा में नविंब से पहुंचिे पि नशक्षक -छात्र के बीच हनिे वािेसंवार्द कन निक्तखए।
  8. निम्ननिक्तखत अपनठत गद्यांश/काव्यांश कन पढकि िीचे निखे प्रश्ननं के उिि निक्तखए– (03अंक)
    अभी कु छ समय पहिे ही संयुि परिवाि हमािी संस्कृ नत की नवशेषता हुआ किता र्ा। संयुि परिवाि
    कन परिभानषत किते हुए हम कह सकते हैं नक निसमें एक ही घि में एक सार् कई पीऩियनं के िनग िहते हैं।
    निस परिवाि में तीि या अनधक पीऩियनं के सर्दस्य सार्-सार् निवास किते हैं नििकी िसनई ,पूिा एवं संपनि
    सामूनहक हनती है ।संयुि परिवाि कन यनर्द आि की आवश्यकता कहा िाए तन गित ि हनगा। ऐसे परिवाि में

नमििुि कि िहिे की भाविा की प्रधािता हनती है इसमें सभी िनग एक र्दू सिे का सहािा बिते हैं ।िेनकि
आधुनिक समय में ऐसे परिवाि का चिि कम हन गया है निससे कई समस्याएं पैर्दा हन िही हैं। इस पूिे संर्दभय में
एक बात बहुत अच्छी है नक युवा पी़िी का ध्याि इसके समाधाि की ओि गया है। उसे िगता है नक संयुि
परिवािनं का टू टिा अच्छे संस्कािनं पि ग्रहर् िगिे के समाि है। अतः इस पिंपिा कन पुििीनवत कििा िरूिी है
तानक समस्याओं का समाधाि हन सके उन्ें अके िेपि से मुक्ति नमि सके तर्ा बच्चनं कन स्वस्र् औि आिंर्दमयी
वाताविर् नमि सके ।
प्रश्न –

  1. उपयुयि गद्यांश का शीषयक निक्तखए।
  2. आधुनिक युवा पी़िी कीअब संयुि परिवाि के बािे में क्या सनच है?
  3. संयुि परिवाि कन कै से परिभानषत नकया िा सकता है?
    अथवा
    िी ,पहिे कु छ नर्दि शमय िगी मुझकन,
    पि पीछे-पीछे अक्ल िगी मुझकन,
    िी, िनगनं िे तन बेच नर्दये ईमाि,
    िी, आप ि हन सुिकि ज्यार्दा हैिाि,
    मैं सनच.समझकि आक्तखि,
    अपिे गीत बेंचता हाँ,
    िी ह
    ं हुिूि मेंगीत बेंचता हाँl
    प्रश्न –
    i उपयुयि काव्यांश का शीषयक निक्तखए।
    ii कनव कन गीत बेचिे में शमय क्यनं िहीं आती?
    iii उपयुयि काव्यांश का मूि भाव निक्तखए।
  4. निम्ननिक्तखत पद्यांश का भावार्य संर्दभय-प्रसंग तर्ा सौन्दयय बनध सनहत निक्तखए- (04अंक)
    धूत कहौ, अवधूत कहौ, ििपूतु कहौ, िनिहा कहौ कनऊ।
    काह की बेटी सनं बेटा ि ब्याहब , काहकी िानत नबगाि ि सनऊ।
    तुिसी सििाम गुिामु है िाम कन, िाकन रूचै सन कहै कछु ओऊ।
    मााँगी कै खैबन, मसीत कन सनइबन, िैबनकन एकु ि र्दैबकन र्दनऊ।
    अथवा
    छनटा मेिा खेत चौकनिा
    कागि का एक पन्ना,
    कनई अंधड कहीं से आया
    क्षर् का बीि वहााँ बनया गया।
    कल्पिा के िसायिनं कन पी
    बीि गि गया नि:शेष;
    शब्द के अंकु ि फू टे,
    पल्लव-पुष्नं सेिनमत हुआ नवशेष।
  5. निम्ननिक्तखत गद्यांश की व्याख्या संर्दभय- प्रसंग एवं नवशेष सनहत निक्तखए – (04अंक)
    भक्तिि औि मेिे बीच में सेवक-स्वामी का संबंध है, यह कहिा कनठि है, क्यनंनक ऐसा कनई स्वामी िहीं हन
    सकता, िन इच्छा हनिे पि भी सेवक कन अपिी सेवा से हटा ि सके औि ऐसा कनई सेवक भी िहीं सुिा गया, िन
    स्वामी के चिे िािे का आर्देश पाकि अवज्ञा से हाँस र्दे lभक्तिि कन िौकि कहिा उतिा ही असंगत है, नितिा
    अपिे घि में बािी-बािी से आिे-िािे वािे अंधेिे-उिािे औि आाँगि में फू ििे वािे गुिाब औि आम कन सेवक
    माििा। वे निस प्रकाि एकअक्तस्तत्व िखते हैं, निसे सार्यकता र्देिे के निए ही हमें सुख-र्दुः ख र्देते हैं, उसी प्रकाि
    भक्तिि का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपिे नवकास के परिचय के निए ही मेिे िीवि कन घेिे हुए है।
    अथवा
    यहााँ मुझे ज्ञात हनता है नक बािाि कन सार्यकता भी वही मिुष्य र्देता है िन िािता है नक वह क्या चाहता है।
    औि िन िहीं िािते नक वे क्या चाहते हैं, अपिी ‘पचेनिंग पावि’ के गवय में अपिे पैसे से के वि एक नविाशक
    शक्ति-शैतािी शक्ति, व्यंग्य की शक्ति ही बािाि कन र्देते हैं। ि तन वे बािाि से िाभ उठा सकते हैं,ि उस बािाि
    कन सच्चा िाभ र्दे सकते हैं। वे िनग बािाि का बािारूपि ब़िाते हैं। निसका मतिब है नक कपट ब़िाते हैं।
    कपट की ब़िती का अर्य पिस्पि में सद्भाव की घटी ।
  6. नवद्यािय के प्राचायय कन नवद्यािय के बुक-बैंक से पुस्तकें प्राप्त कििे हेतु आवेर्दि निक्तखए। (04अंक)
    अथवा
    आप एक छात्रावास मेंिहकि अध्ययि कि िहे हैं l अपिे नपतािी कन पत्र निखते हुए पिीक्षा हेतु अपिी
    संतनषििक तैयािी की िािकािी र्दीनिए।
  7. निम्ननिक्तखत नवषयनं में से नकसी एक नवषय पि रुपिेखा सनहत निबंध निक्तखए– (04अंक)
    I. पुस्तकािय का महत्त्व
    II. प्रर्दू षर्- नकतिा घातक
    III. मिनिंिि के साधि
    IV. बुिुगों की र्देखभाि
    V. स्वाविंबि

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