Search
Close this search box.

Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 || कक्षा 10वी हिंदी वार्षिक परीक्षा पेपर 2024

Facebook
WhatsApp
Telegram

विद्यार्थियों जैसा की वार्षिक परीक्षा 2024 बहुत नजदीक आ गई हैं इसलिए आज मैं आपको Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 की संपूर्ण PDF देने जा रहा हूं साथ में सभी प्रश्नों का Full Solution फ्री पीडीएफ के रूप में देने जा रहा हूं कोई भी चार्ज PAY करने की जरूरत नहीं है

सबसे पहले एक झलक Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 को देख लेते हैं

Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024

तो विद्यार्थियों अब आप सभी को विश्वास भी हो गया होगा कि मैं आप सभी को पेपर प्रोवाइड करने वाला हूंजैसा कि आप सभी पहले से ही जानते होंगे कि हमारे द्वारा दिए गए प्रश्न पत्र आपको परीक्षा में देखने के लिए मिलते हैं हमारा प्रयास हमेशा से यह रहता है कि हर विद्यार्थी परीक्षा में टॉप करें मतलब अच्छे अंक प्राप्त करें और आगे बड़े विद्यार्थियों अगर आप STUDY NOTES PJ से पहले जुड़े हुए हैं तो आप सभी को पता होगा कि इसके पहले भी मैंने आप सभी की कितनी मदद की है वार्षिक परीक्षा 2024 में भी संपूर्ण मदद करने का प्रयास करूंगा बस आप सभी को इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों तक शेयर करना है

Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024
BOARD TYPEMP BOARD
EXAM TYPEवार्षिक परीक्षा 2024
SUBJECTHINDI
EXAM DATE5 February
CLASS10th
PAPER TYPEVIRAL PAPER
Class 10h SET A Hindi vaarshik paper 2024
Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024

जी हां विद्यार्थियों आप सभी ने सही सुना आप सभी के लिए मैं संपूर्ण पेपर का हल करने वाला हूं यही नहीं और सुनिए Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 की संपूर्ण पीडीएफ PDF भी देने जा रहा हूं हमेशा की तरह आपको प्यार दिखाना है चैनल को सब्सक्राइब करना है इस पोस्ट को शेयर करना है

जी हां विद्यार्थियों परीक्षा से कुछ ही समय पहले Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 की यह फोटोस वायरल हो रही हैं जो मैंने आपको अभी दिखाई हैं आप सभी की मदद करने के लिए ही मैंने आपको SOLUTIN प्रोवाइड कराया है

कक्षा 10वी

विषय हिंदी (SET A)

प्रश्न क्रमांक 1 के उत्तर( सही विकल्प)

उत्तर-(i) (ग) माँ के आँचल में,

(ii) (क)तीन

(iii) (घ) एक

 (iv) (घ) महाकाव्य में।

(v) (घ)शिव धनुष तोड़ने की।

(vi) (क)योग का

प्रश्न क्रमांक 2 के उत्तर( रिक्त स्थान)

-(i) जितेन नागें

(ii) आठ,

(iii) बाला जी

(iv) आलम्बन

(v) महाकाव्य

(vi) रीतिकाल

प्रश्न क्रमांक 3 के उत्तर ( सही जोड़ियां)

उत्तर:-

(i)मईया                       (क) कड़वा तेल लगाती थी

(ii)परिमाणवाचक क्रिया विशेषण(ख) क्रिया के परिमाण का बोध

(iii)नेताजी की प्रतिमा-    (ग) कस्बे के चौराहे पर

(iv)नवाब साहब ने-        (घ)  दो खीरे खरीदे

(v)श्रृंगार रस-                (ड़)  रति स्थायी भाव

(vi)योग का संदेश-          (च) उद्धव

प्रश्न क्रमांक  4 के उत्तर ( सत्य/असत्य)

उत्तर-(i) सत्य

(ii) असत्य

(iii) सत्य

(iv) सत्य

(v) असत्य

(vi) असत्य

प्रश्न क्रमांक 5 के उत्तर( एक शब्द में उत्तर)

उत्तर-(i) साथी बच्चों को खेलता देखकर

(ii) तीन

(iii) पछताना

(iv) किसी बच्चे ने लगाया होगा

 (v) तैंतीस

 (vi) श्रृंगार वर्णन,

प्रश्न 6. बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर- बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वे दाँत निकलते बच्चे को मुस्कुराते हुए देखकर प्रसन्नता से भर जाते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे की मुस्कान इतनी जीवन्त है कि यह मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल सकती है। इस मुस्कान के प्रभाव से कठोर-से-कठोर पत्थर तथा काँटेदार वनस्पतियाँ भी मुलायम एवं कोमल हो उठती हैं।

अथवा

प्रश्न . फाल्गुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?

उत्तर- फाल्गुन में वसंत ऋतु आती है। इस समय पेड़-पौधे हरे-लाल पत्तों, रंग-बिरंगे फूलों से लदे होते हैं। चारों ओर भीनी-भीनी सुगन्धित हवा चलती है। न सर्दी होती है न गर्मी, मौसम मनोहर होता है। पक्षी चहचहाते रहते हैं। यह ऋतु ऋतुओं की राजा मानी गई है। इतना सुहावना तथा मनोहर वातावरण अन्य किसी ऋतु में नहीं होता है। इसीलिए फाल्गुन अन्य ऋतुओं से भिन्न होता है।

प्रश्न 7. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?

उत्तर – गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा के हित का पूरा ध्यान रखना होना चाहिए। प्रजा को किसी प्रकार से नहीं सताया जाना चाहिए। राजा का दायित्व प्रजा की भलाई का ध्यान रखना है

अथवा

प्रश्न . कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं?

उत्तर-कवि जयशंकर प्रसाद के मित्रों ने उनसे आत्मकथा लिखने को कहा परन्तु वे राजी नहीं हुए। उनके अनुसार उनका जीवन साधारण रहा है उन्होंने कोई महान कार्य नहीं किया है जिसका उल्लेख आत्मकथा में किया जाए। उनका जीवन दुःखों और आघातों से पूर्ण रहा है इसलिए आत्मकथा लिखकर वे उन दुःखों को याद नहीं करना चाहते हैं।

प्रश्न 8.नई कविता की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर-नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) लघुमानववाद की प्रतिष्ठा।

(2) प्रयोगों में नवीनता

अथवा

प्रश्न.दो प्रयोगवादी कवियों के नाम तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।

उत्तर-

कवि का नाम                      रचना

(1) अज्ञेय-             ‘हरी घास पर क्षण भर’।

(2) मुक्तिबोध-         ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’।

प्रश्न.9 (सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला)

रचनाएँ – (1) ‘अनामिका’, (2) ‘ परिमल’, (3) ‘गीतिका’,

भावपक्ष – निराला के काव्य में प्रेम और सौन्दर्य के मोहक चित्र दिय मिलते हैं। उनके सौन्दर्य वर्णन में ताजगी, आकर्षण और स्वच्छन्दता है।निराला ने प्रकृति के सजीव चित्र अंकित किये हैं। उनका प्रकृति वर्णन अत्यन्त मधुर और हृदयस्पर्शी है

कलापक्ष- भाषा-निराला जी की भाषा भावों के अनुरूप बदलती जाती है। देश-प्रेम तथा भक्तिपरक कविताओं में इनकी भाषा सरल है। गम्भीर रचनाओं में आपकी भाषा क्लिष्ट एवं संस्कृतनिष्ठ हो गयी है।

साहित्य में स्थान – आधुनिक कवियों में महाप्राण निराला का उत्कृष्ट स्थान है। वे मुक्तक के जनक थे। निराला जी ने हिंदी कविता को नयी दिशा प्रदान की। इन्होंने हिंदी कविता को नवीन विषयों और शैलियों से समृद्ध किया। निराला जी हिंदी के मूर्धन्य रचनाकार हैं।

अथवा    (नागार्जुन)

रचनाएँ:- जीवन की कठोर, यथार्थ तथा स्निग्ध कल्पना का अद्भुत

भावपक्ष:- नागार्जुन की शोषितों के प्रति सहानुभूति रही है। उन्होंने हर स्तर पर शोषण का विरोध तीखे शब्दों में किया है।

नागार्जुन ने प्रकृति मनोरम चित्र उकेरे हैं। खेती, हरियाली, वन, जंगल, पर्वत आदि आपकी रचनाओं में साकार हो उठे हैं।

कलापक्ष:- भाषा-नागार्जुन ने बोलचाल की खड़ी बोली में काव्य रचना की है। सरलता, सुबोधता, स्पष्टता तथा मार्मिकता आपकी भाषा की मूल विशेषता है

साहित्य में स्थान – जनसामान्य की आशाओं, आकांक्षाओं को वाणी देने वाले नागार्जुन के काव्य में नवचेतना का भाव भरा है। बिना किसी भय, द्वन्द्व, संकोच के अपनी बात को दमदारी से रखने वाले नागार्जुन का आधुनिक हिंदी कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। अपनी सपाट बयानी के लिए वे निरन्तर याद किए जायेंगे।

प्रश्न 10. शान्त रस की परिभाषा लिखते हुए एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर- परिभाषा – दुनिया की नश्वरता अथवा तत्व ज्ञान, विराग आदि से उत्पन्न अलौकिक निर्वेद स्थायी भाव के परिपाक से शान्त रस की व्यंजना होती है।

उदाहरण – “मन पछतैहै अवसर बीते। दुर्लभ देह पाइ हरि-पद भजु करम वचन अरु ही ते। सहसबाहु दसवदन आदि नृप बचे न काल बली ते। हम-हम करि धन धाम सँवारे, अन्त चले उठि रीते।”

अथवा

पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक में कोई दो अंतर लिखिए।

उत्तर- पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक में तीन अंतर निम्नलिखित हैं-

(1) पाठ्य मुक्तक का पाठ किया जाता है जबकि गेय मुक्तक लय में गाये जाते हैं।

(2) पाठ्य मुक्तक में लय, तुक, छंद आदि को ध्यान में नहीं रखा जाता है जबकि गेय मुक्तक छंद विधान युक्त रचना होती है।

प्रश्न 11. अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- जहाँ अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत अर्थ का बोध कराया जाये वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण – “माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार।

फूले फूले चुनि लिए, कालि हमारी बार ॥” यहाँ पर बात तो अप्रस्तुत माली, कलियाँ, फूलों की कही गई है परन्तु बोध प्रस्तुत वृद्धजनों और प्रौढ़जनों का कराया गया है।

अथवा

प्रश्न . रौद्र रस की परिभाषा लिखिए और एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर-परिभाषा – जहाँ अपमान, अपकार, शत्रु की अनुचित चेष्टाओं, निन्दा आदि से उत्पन्न क्रोध से भावों की व्यंजना होती है, वहाँ रौद्र रस होता है। इसका स्थायी भाव क्रोध है।

उदाहरण – “श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे, सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे। संसार देखे अब हमारे, शत्रु रण में मृत पड़े, करते हुए यह घोषणा वे, हो गये उठकर खड़े।”

प्रश्न 12. जीवनी की परिभाषा दीजिए तथा एक जीवनी लेखक का नाम लिखिए।

 उत्तर-किसी महापुरुष या प्रसिद्ध व्यक्ति के जीवन की घटनाओं, उनके कार्य-कलापों आदि का आत्मीयता के साथ वर्णन जिस गद्य विधा में किया जाता है, उसे जीवनी कहते हैं। मन्मथ नाथ गुप्त प्रसिद्ध जीवनी लेखक है।

अथवा

बाबू गुलाबराय के अनुसार निबन्ध की परिभाषा लिखते हुए हिंदी के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए।

उत्तर- ‘निबन्ध’ शब्द नि बन्ध से मिलकर बना है जिसका अर्थ अच्छी तरह बँधी हुई परिमार्जित प्रौढ़ रचना से है। निबन्ध अपने आधुनिक रूप में ‘ऐसे’ (Essay) शब्द का पर्याय है। अंग्रेजी में इसका अर्थ है प्रयत्न, प्रयोग अथवा परीक्षण। अभिप्राय यह है कि किसी विषय का भली-भाँति प्रतिपादन करना या परीक्षण करना निबन्ध कहलाता है। हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा महादेवी वर्मा प्रसिद्ध निवन्धकार है।

प्रश्न 13. वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है ?

उत्तर-अपने विवेक द्वारा जो व्यक्ति किसी नए तथ्य के दर्शन करता है, नयी खोज करता है, वही वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। वाह व्यक्ति किसी-न-किसी उपयोगी आविष्कार के लिए प्रयत्न करता ही रहता है। उसकी सन्तान जिसे बिना किसी प्रयास के यह वस्तु प्राप्त हो गई वह सभ्य तो कही जा सकती है किन्तु संस्कृत नहीं। वास्तविक संस्कृत तो आविष्कार करने वाला ही होता है।

अथवा

प्रश्न . वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास पाया और न अपने कानों पर ?

 उत्तर-एक बार लेखिका के कॉलेज की प्रिंसिपल ने पत्र भेजा कि उनके पिता कॉलेज आकर बताएँ कि उनकी बेटी की गतिविधियों के कारण उनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्यवाही क्यों न की जाय ?पिताजी पत्र पाकर बड़े क्रोधित हुए तथा भन्नाते हुए कॉलेज गए। प्रिंसिपल ने उन्हें बताया कि आपकी लड़की के भड़काने के कारण छात्राएँ क्लास छोड़कर बाहर आ जाती हैं और नारे लगाती हैं। पिताजी ने उनसे कह दिया कि यह देश की जरूरत है इसे रोकना सम्भव नहीं है। उनको इस बात का गर्व था कि उनकी बेटी का लड़कियों पर प्रभाव है और उसमें देशभक्ति का भाव है। पिताजी का यह रूप देखकर लेखिका को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।

प्रश्न 14. ‘एक कहानी यह भी’ आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आन्दोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए इसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।

उत्तर- भारत छोड़ो आन्दोलन के बाद देश के कोने-कोने में स्वाधीनता प्राप्त करने का भाव व्याप्त हो गया था। सन् 1946-47 के आते-आते यह भाव और तीव्र हो गया था। प्रभात फेरियों, जुलूसों, हड़तालों, भाषणों आदि के द्वारा जनजागरण, राष्ट्रीयता तथा स्वतन्त्रता को जन भावना बनाया जा रहा था। देश का हर युवा सक्रिय भागीदारी करके देश को गुलामी के बन्धन से मुक्त कराने में लगा था। लेखिका भी युवा था। उनको नसों में रक्त के स्थान पर लावा प्रवाहित हो रहा था। वे प्रभात फेरियों, हड़तालों, नारों, जुलूसों में सक्रिय भाग ले रही थीं। वे जोशीले भाषण दे रही थीं जिनका जनता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा था

अथवा

प्रश्न . लेखक यशपाल को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं ?

 उत्तर-लेखक जैसे ही डिब्बे में पहुँचे तो उन्हें एक सफेदपोश बैठे दिखाई दिए। लेखक को देखते उनकी आँखों में असुविधा तथा असन्तोष का भाव दिखाई दिया। उन्होंने लेखक के प्रति किसी प्रकार की उत्सुकता नहीं दिखाई। वे चुप बैठे अपने खलल पड़ने के भाव को प्रकट करते रहे। इससे लेखक ने महसूस किया कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने को तनिक भी उत्सुक नहीं हैं

प्रश्न 15.  का उत्तर (मन्नू भंडारी)

रचनाएँ- में हार चुकी’,’ एक प्लेट सैलाब’,

भाषा-शैली-भाषा-मन्नू भंडारी ने बोलचाल की व्यावहारिक भाषा में साहित्य रचना की है। आपने आवश्यकता के अनुसार तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग किया है। आप लोकोक्ति व मुहावरों का स्वाभाविक प्रयोग भी करती हैं। आपकी भाषा में सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता है। विषय के अनुरूप आपकी भाषा भी बदलती जाती है।

अथवा उत्तर (रामवृक्ष बेनीपुरी)

रचनाएँ-  माटी की मूरतें’, ‘लालतारा’ आदि।

भाषा-शैली-भाषा- इनकी भाषा व्यावहारिक है। इसमें सरलता, सुबोधता और सजीवता पाई जाती है। मुहावरों और कहावतों से भाषा में सुन्दरता आ गई है।

प्रश्न 16. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए (कोई दो) – अंधे की लाठी, पहाड़ टूट पड़ना, दाँत खट्टे करना।

उत्तर-(1) अंधे की लाठी- एकमात्र सहारा।

वाक्य प्रयोग – श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए अंधे की लाठी थे।

(ii) पहाड़ टूट पड़ना – गम्भीर संकट आना।

वाक्य प्रयोग-पति की मृत्यु होते ही रजनी पर पहाड़ टूट पड़ा।

(iii) दाँत खट्टे करना – हराना।

वाक्य प्रयोग – कारगिल में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।

अथवा उत्तर

उत्तर – (i) कुल- 1. आज कुल कितने बच्चे आए हैं।

2. राम का कुल संसार में प्रसिद्ध है।

( ii) तीर – 1. ताजमहल यमुना के तीर पर स्थित है।

2. भरत जी के तीर से हनुमान घायल हो गए थे

प्रश्न 17. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है ?

 उत्तर-यूमथांग के मार्ग में एक और श्वेत पताकाएँ लगी थीं। किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु पर ये श्वेत पताकाएँ लगाई जाती हैं। किसी नये कार्य को करने के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इन पताकाओं को हटाते नहीं हैं। इस प्रकार बौद्धधर्म को मानने वाले की मृत्यु के समय श्वेत तथा शुभ कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराते हैं।

अथवा

प्रश्न . ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है ?

उत्तर-‘ माता का अँचल’ पाठ में जो दुनिया रची गई है वह आज से वर्षों पहले की ग्रामीण दुनिया है। इसमें देहाती सरलता, सहजता, पूजा-पाठ, खेलकूद, बारात दुल्हन, बाजार, दुकान, घरोंदा इत्यादि सम्बन्धी वर्णन हैं जिन्हें भोलानाथ मन से चाहता था। उस समय माँ-बाप के पास समय था वे बच्चे के साथ खेल-कूद करते थे। आज की दुनिया व्यस्त है। किसी के पास बच्चों को खिलाने का समय नहीं है। बदले समय में खेल भी क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, बैडमिंटन आदि खेले जाते हैं। दो-ढाई वर्ष का होते ही बच्चों को नर्सरी, प्री-नर्सरी में दाखिल कर देते हैं। उसके कन्धे पर बस्ता लग जाता है। उसे वर्णमाला, गिनती आदि रटाने लगते हैं। आज बच्चे के स्वाभाविक विकास के अवसर कम हो गए हैं। पढ़ाई की चिन्ता में वह खाना-पीना भूल जाता है। वस्तुतः आज की दुनिया उस समय की दुनिया से पूरी तरह अलग है।

प्रश्न 18 का उत्तर

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘आत्मकथ्य’ पाठ से लिया गया है। इसके कवि जयशंकर प्रसाद है।

प्रसंग – कवि जयशंकर प्रसाद की प्रेमपूर्ण मधुर जीवन जीने की इच्छा के पूर्ण न हो पाने की पीड़ा यहाँ पर अभिव्यक्त हुई है।

भावार्थ-कवि प्रसाद कहते हैं कि मैंने अपने प्रिय के साथ जो सुखद समय बिताया था। चाँदनी रातों में मीठी-मीठी बातें करते-करते वह खिलखिलाकर हँसती थी उस सबका वर्णन किस प्रकार करूँ। मुझे मिठास भरा जीवन मिल ही नहीं पाया। जिस सुखद जीवन का स्वप्न मैंने देखा था वह तो मुझे प्राप्त होते-होते मुझसे दूर भाग गया।

काव्य सौन्दर्य- (1) प्रेममय जीवन के इच्छुक कवि का स्वप्न पूर्ण नहीं हो सका। (2) अनुप्रास अलंकार तथा साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

अथवा का उत्तर

संदर्भ-यह पद्य हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘पद’पाठ से लिया गया है। इसके कवि सूरदास हैं।

प्रसंग- अपनी प्रेम भावना को प्रकट करते हुए यहाँ गोपियों ने कहा है कि हम श्रीकृष्ण के प्रेम के बिना जीवित नहीं रह सकती है।

भावार्थ-गोपियाँ उद्धव को बताती हैं कि हमारे लिए श्रीकृष्ण हारिल पक्षी की लकड़ी की तरह हैं। हम श्रीकृष्ण के प्रेम के बिना क्षण भर भी नहीं रह सकती हैं। हमने अपने मन, कर्म और वाणी से नन्द के पुत्र श्रीकृष्ण को अपने हृदय में जकड़कर स्थिर कर रखा है। यही कारण है कि हम जागते हुए, सोते समय और स्वप्नावस्था में श्रीकृष्ण के नाम की रट लगाए रहती हैं। हम उन्हें एक क्षण के लिए भी नहीं भूल पाती है। गोपियों को उद्धव का योग का सन्देश कड़वी ककड़ी जैसा लगता है। वे योग को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। गोपियाँ कहती है कि उद्धव जो फेंकने योग्य योग का रोग है उसी को तुम हमारे लिए लेकर आ गए हो। यह योग हमने न तो कभी सुना है न कभी अपनाया है और न हमारे यहाँ किसी ने इसे स्वीकार किया है। इसलिए हम इसे नहीं अपना पायेंगी। सूरदास के शब्दों में गोपियों ने उद्धव से स्पष्ट कह दिया कि इसको तो तुम उनको जाकर दे दो जिनके मन चंचल, चलायमान है।

प्रश्न 19 का उत्तर

संदर्भ-यह गद्य खण्ड हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘संस्कृति ‘पाठ से लिया है। इसके लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन है।

प्रसंग-इसमें संस्कृति और सभ्यता के बारे में बताया गया है।

व्याख्या-कोई भी आविष्कार तब होता है जब उसकी कोई आवश्यकता अनुभव की जाती है। आग तथा सुई-धागे के आविष्कार जिस योग्यता, प्रवृत्ति तथा प्रेरणा की शक्ति के द्वारा हो सके वह उस व्यक्ति विशेष की संस्कृति है। इस संस्कृति ने ही उससे आविष्कार कराया। उस संस्कृति के द्वारा जो आविष्कार किया गया और जिस चीज की खोज की गई उसका नाम सभ्यता है।

विशेष- (1) संस्कृति तथा सभ्यता को स्पष्ट किया गया है। (2) विचारात्मक शैली तथा शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग हुआ है।

अथवा उत्तर

संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नेताजी का चश्मा ‘पाठ से लिया गया है। इसके लेखक स्वयं प्रकाश है।

प्रसंग- इसमें हालदार साहब की देशवासियों की स्वार्थी प्रवृत्ति तथा देश-प्रेम के अभाव पर चिन्ता व्यक्त हुई है।

व्याख्या-देश-प्रेम से भरे हालदार साहब पुनः पुनः विचार करते हैं कि इस देश में निवास करने वाली स्वार्थी जातियों के कार्यों का क्या परिणाम होगा। ये लोग देश के लिए अपने घर-परिवार, यौवन, जीवन आदि को न्यौछावर कर देने वालों का मजाक बनाते हैं। दूसरी ओर ये अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने ईमान को बेचने के अवसरों की खोज में रहते हैं। इस स्वार्थी समाज की करतूतों के प्रति चिन्तित होते हुए हालदार साहब अत्यन्त दुःखी हो उठे।

 प्रश्न 20. का उत्तर      ( आधुनिक भारत)

मेरा देश भारत संसार का सिरमौर रहा है। इसे दुनिया को शिक्षित करने का गौरव प्राप्त है। इसीलिए यह केन ज्ञान गुरु कहलाता है। इसका अतीत जितना गरिमामय रहा है वर्तमान भी उतना ही महिमाशाली है। इक्कीसवीं सदो का भारत शक्ति, शिक्षा, संस्कृति तथा विज्ञान के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। संसार के विकासशील देशों में भारत सबसे आगे है। संसार के सबसे बड़े लोकतन्त्र के रूप में यह कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। कृषि, व्यापार, उद्योग-धन्धे आदि में भारत का काफी योगदान है। यह देश अग्रणी है। यहाँ के लोग मिल-जुलकर आगे बढ़ने में लगे हैं। आधुनिक भारत विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखता है

प्रश्न 21 का उत्तर

उत्तर-

(1) शीर्षक-‘क्षमा-भावना’।

(ii) सारांश-क्षमा पृथ्वी का गुणधर्म और वोरों का भूषण है। गानव स्वभाव से अपराधी होता है। यदि क्षमा-भावना न होगी तो क्रोध, हिंसा एवं संघर्ष का बोलवाला होगा जो मनुष्य को स्वीकार्य न होगा बाहा-पिता, गुरु आदि क्षमाशील होते हैं। बिना क्षमा के मानव जीवन बहुत कठिन हो जाता है अतः यह गुण मानव के लिए आवश्यक है।

(iii) क्षमा के अभाव में क्रोध, हिंसा, संघर्ष आदि का साम्राज्य छा जायेगा।

अथवा

उत्तर-(1) सारांश- इस काव्यांश में बताया गया है कि प्रेम पोड़ा, शंका आदि से मुक्त परमात्मा का प्रतिरूप है। हृदय को भाने वाले प्रेम का अनुभव जिसने नहीं किया है वह अभागा पत्थर के समान है।

(ii) प्रेम की पीड़ा हृदय को बड़ी मधुर लगती है।

(iii) शीर्षक – ‘प्रेम’ या ‘प्रेम की महिमा’।

प्रश्न 22. अपने प्राचार्य को शाला छोड़ने पर स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र (T.C.) देने हेतु आवेदन-पत्र लिखिए।

उत्तर-

दिनांक-25-7-20….

सेवा में,

श्रीमान् प्राचार्य महोदय,

शासकीय उच्चतर मा. वि.,

ग्वालियर।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि प्रार्थी ने आपके विद्यालय से कक्षा 9 की परीक्षा उत्तम अंक लेकर उत्तीर्ण की है।

संयोगवश मेरे पिताजी का स्थानान्तरण मुरैना हो गया है। इस हेतु मैं आपके आदर्श विद्यालय में आगे अध्ययन करने में असमर्थ हूँ। अतः मुझे अन्यत्र पढ़ने हेतु शाला त्याग प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें।

आपका आज्ञाकारी शिष्य

कनिष्क

कक्षा 9 ब

अथवा

प्रश्न . अपने जन्मदिन पर आयोजन में सम्मिलित होने हेतु मित्र को आमंत्रण-पत्र लिखिए।

उत्तर-

                                                             20 वैभव नगर,

                                                                   इन्दौर

                                                     दिनांक : 05-02-2024

प्रिय मित्र अंकुश,

सप्रेम हृदय स्पर्श।

तुम्हें सूचित करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है कि पिताजी ने इस बार जन्मदिन उल्लास के साथ मनाने का निश्चय किया। तुम्हारे बिना यह उत्सव अधूरा ही रहेगा। अतः तुम्हें 12  फरवरी को इस समारोह में सम्मिलित होने के लिए अवश्य आना है। एक दिन पहले आ जाओगे तो मुझे अच्छा लगेगा।

पिताजी एवं माताजी को चरण स्पर्श, छुटकी को स्नेह।

तुम्हारा मित्र संजय

प्रश्न 23 का उत्तर  निबंध(विज्ञान के बढ़ते चरण

[रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) विज्ञान वरदान के रूप में, (3) विज्ञान अभिशाप के रूप में,(4) उपसंहार ।।

प्रस्तावना: – आज हम विज्ञान के युग में साँस ले रहे हैं। आज विज्ञान ने मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है। यदि हमारे पूर्वज अपनी कब्रों से उठकर आज की दुनिया को देखें तो उन्हें अपनी आँखों पर यह विश्वास नहीं होगा कि हम कभी इस दुनिया में निवास करते थे।

 विज्ञान वरदान के रूप में:-विज्ञान ने मनुष्य का जीवन सुख, वैभव तथा समृद्धि से सम्पन्न बना दिया है। आज विज्ञान ने अनेक क्षेत्रों में आशातीत उन्नति की है; जैसे-

(1) खाद्यान्न के क्षेत्र में:-खाद्यान्न के क्षेत्र में विज्ञान ने क्रान्ति मचा दी है। वर्तमान युग में किसान वर्षा ऋतु पर आश्रित नहीं रहता अपितु ट्यूब वैलों से खेतों को सींच रहा है। बैलों की जगह ट्रैक्टर के माध्यम से खेत की जुताई की जाती है। रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाता है तथा कीटनाशक दवाओं के द्वारा फसलों की सुरक्षा की जाती है।

(2) उद्योग एवं विज्ञान के क्षेत्र में:- मशीनों के द्वारा आज औद्योगिक क्षमता का विकास तीव्र गति से हो रहा है। जो कार्य पहले सी व्यक्तियों द्वारा पूरा होता था आज मशीनों के द्वारा कम समय में एक ही व्यक्ति पूरा कर लेता है।

(3) शिक्षा के क्षेत्र में:- वर्तमान समय में टी. वी., रेडियो तथा कम्प्यूटरों के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। चित्रपट पर प्रदर्शित राजनीतिक वार्ता, प्राकृतिक दृश्य तथा शैक्षिक कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।

(4) आवागमन के क्षेत्र में:- प्राचीन समय में यात्रा करना बहुत ही कष्टप्रद तथा भययुक्त होता था, लेकिन वैज्ञानिक आविष्कार के द्वारा आज रेल, मोटर तथा वायुयानों के माध्यम से मानव सम्पूर्ण विश्व की यात्रा कुछ घण्टों में ही पूरा कर लेता है।

(5) चिकित्सा के क्षेत्र में:-आज विज्ञान के माध्यम से अनेक घातक बीमारियों का एक्स-रे द्वारा आन्तरिक फोटो लेकर सरलता से पता लगा लिया जाता है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज भी सम्भव हो गया है। ऑपरेशन के द्वारा न जाने कितने इंसानों को नया जीवन मिलता है।

(6) संचार के क्षेत्र में:- संचार के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अभूतपूर्व उन्नति की है। टेलीफोन, टेलीग्राम तथा टेलीविजन के द्वारा हम घर बैठे हो सम्पूर्ण देश के लोगों का हाल जान सकते हैं।

(7) वस्त्र निर्माण के क्षेत्र में:- आज वरत्र निर्माण के लिए आधुनिक तकनीकों से युक्त नयी-नयी मिलें स्थापित हो गयी है। सिलाई के लिए नयी-नयी मशीनें आविष्कृत हैं।

विज्ञान अभिशाप के रूप में:–विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को सुख-सुविधा एवं स्वास्थ्य दिया है वहीं दूसरी और वह एक विशालकाय दानव की तरह भयानक मुँह खोले हुए उसे गृत्यु की नींद सुलाने को बेचैन है। हाइड्रोजन बम और जहरीली गैसें उसके लिए मृत्यु से भी भयंकर साबित हो रही है। विज्ञान द्वारा प्रदत्त भौतिक साधनों से मनुष्य आलसी हो गया है और शरीर से कमजोर हो गया है। विज्ञान ने वातावरण को अति दूषित कर दिया है और प्रकृति की संरचना से खिलवाड़ किया है।

उपसंहार: – विज्ञान स्वयं में शक्ति नहीं है। वह गनुष्यों के हाथों में आकर ही शक्तिशाली बना है। उसका शुभ और अशुभ प्रयोग मनुष्य के हाथ में ही है। ईश्वर मनुष्य को ऐसी बुद्धि दे कि वह मनुष्य के संहार के लिए इसका प्रयोग न करे।

HINDISET A
SET B
SET C
SET D
ENGLISHSET A
SET B
SET C
SET D
SANSKRITSET A
SET B
SET C
SET D
MATHSET A
SET B
SET C
SET D
SOCIAL SCIENCESET A
SET B
SET C
SET D
SCIENCESET A
SET B
SET C
SET D
कक्षा 10वी वार्षिक परीक्षा के पेपर 2024

विद्यार्थियों आइए जानते हैं वार्षिक परीक्षा परीक्षा 2024 में क्या-क्या लेकर जाना है

  • काले और नीले के दो-दो पेन लेकर अवश्य जाना है
  • एक  ट्रांसपेरेंट पानी की बॉटल लेकर जाना है
  • गणित के पेपर में संबंधित सामग्री लेकर अवश्य जाना है
  • विद्यालय में परीक्षा के 1 घंटे पहले पहुंचना अनिवार्य है

Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 Solution PDF link

  • Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 की PDF Free OF COST आपको प्रोवाइड करा रहा हूं 
  • PDF डाउनलोड करने के लिए कुछ दिशानिर्देश नीचे दिए गए हैं
  • उनको ध्यानपूर्वक पढ़ें तभी आपको Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 Solution की PDF link मिलेगी
  • क्योंकि आपको फ्री ऑफ कॉस्ट प्रोवाइड करी जा रही है तो कुछ नियम आपको फॉलो करने होंगे
महत्वपूर्ण STEP Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 की PDF डाउनलोड करने के लिए
  • सबसे पहले यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करके सभी प्लेटफार्म पर फॉलो करना होगा
  • इसके पश्चात किसी भी एक (एड  विज्ञापन) पर एक बार क्लिक करना होगा
  • विज्ञापन पर क्लिक करने के पश्चात डाउनलोड (LINK एक्टिवेट) हो जाएगी
  • इसके पश्चात 20 से 25 सेकंड का टाइमर चलेगा
  • इसके पश्चात  डाउनलोड का हरा बटन नजर आयगा उस पर क्लिक कर देना होगा
  • इसके पश्चात फाइल डाउनलोड हो जाएगी

NOTE :25 सेकंड के बाद ही आपको हरा कलर का डाउनलोड का बटन दिखेगा

तो विद्यार्थियों में उम्मीद कर रहा हूं अभी तक आप सभी को Class 10th SET A Hindi vaarshik paper 2024 तथा पेपर का फुल सोल्यूशन मिल चुका होगा मैंने PDF भी आप सभी को प्रोवाइड कराई है ताकि आप सभी को कोई भी समस्या ना हो लगातार आपके कमेंट आते रहते हैं कि सर हमें PDF भी दिया करो हमें बहुत ज्यादा समस्या होती है फाइनली मैं आप सभी को पीडीएफ भी प्रोवाइड कर दी है अब आप सभी को इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों तक शेयर करना है जिससे कि सभी की हेल्प हो पाएगी और आपको जल्दी से जल्दी मैं पेपर प्रोवाइड कर पाऊंगा आप हमारे सोशल मीडिया लिंक से भी जुड़ सकते हैं सारे लिंक में आपको प्रोवाइड करा दे रहा हूं

Class 10th SET B Hindi vaarshik paper 2024

प्रश्न 11. अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- जहाँ अप्रस्तुत कथन के द्वारा प्रस्तुत अर्थ का बोध कराया जाये वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण – “माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार।
फूले फूले चुनि लिए, कालि हमारी बार ॥” यहाँ पर बात तो अप्रस्तुत माली, कलियाँ, फूलों की कही गई है परन्तु बोध प्रस्तुत वृद्धजनों और प्रौढ़जनों का कराया गया है।

Leave a Comment

Trending Results

Request For Post