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Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024 || कक्षा 12वी हिंदी वार्षिक परीक्षा पेपर 2024

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विद्यार्थियों जैसा की वार्षिक परीक्षा 2024 बहुत नजदीक आ गई हैं इसलिए आज मैं आपको Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024 की संपूर्ण PDF देने जा रहा हूं साथ में सभी प्रश्नों का Full Solution फ्री पीडीएफ के रूप में देने जा रहा हूं कोई भी चार्ज PAY करने की जरूरत नहीं है

Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024
Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024
Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024
BOARD TYPEMP BOARD
EXAM TYPEवार्षिक परीक्षा 2024
SUBJECTHINDI
EXAM DATE6 February
CLASS12th
PAPER TYPEVIRAL PAPER
Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024
Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024

जी हां विद्यार्थियों परीक्षा से कुछ ही समय पहले Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024 की यह फोटोस वायरल हो रही हैं जो मैंने आपको अभी दिखाई हैं आप सभी की मदद करने के लिए ही मैंने आपको SOLUTIN प्रोवाइड कराया है

कक्षा 12वी

विषय हिंदी (SET B)

प्रश्न क्रमांक 1 के उत्तर( सही विकल्प)

उत्तर- (i) (ब)रूबाई

(ii) (अ)कथानक

(iii) (अ)यशोधर बाबू,

(iv) (ब) >k¡lh]

(v) (स)बगुले

(vi) (स) पृथ्वीराज रासो

प्रश्न क्रमांक 2 के उत्तर( रिक्त स्थान)

उत्तर – (i) मात्रिक

(ii) लोकोक्ति

(iii) रवि

(iv) मराठी

(v) पद्मश्री

(vi) रामचरितमानस

प्रश्न क्रमांक 3 के उत्तर ( सही जोड़ियां)

उत्तर- (i) → (द),

(ii) → (इ),

(iii) → (अ)

 (iv) → (ई)

(v)→  (स),

(vi) → (फ),

(vii)  → (ब)

प्रश्न क्रमांक 4 के उत्तर( एक शब्द में उत्तर)

 (i) इस जल प्रलय में।

(ii) अंधेरा,

(iii) नींद न आना,

(iv) जाकिर हुसैन

(v) 24 मात्राएँ,

(vi) श्रीकृष्ण के,

प्रश्न क्रमांक  5 के उत्तर ( सत्य/असत्य)

उत्तर- (i) असत्य

(ii) असत्य

(iii) सत्य

(iii) असत्य

(v) सत्य

(vi) सत्य

प्रश्न 6. निर्गुण धारा और सगुण धारा में अन्तर स्पष्ट कीजिए । उत्तर- इन दोनों धाराओं में  अन्तर इस प्रकार हैं-

 (1) निर्गुण धारा के काव्य में निराकार ब्रह्म की आराधना की गई है जबकि सगुण धारा के काव्य में साकार (राम एवं कृष्ण) परमात्मा की भक्ति का अंकन किया गया है।

(2) निर्गुण धारा के कवियों ने जाति-पाँति, रूढ़ियों का विरोध कर समाज सुधार पर बल दिया है जबकि सगुण भक्ति धारा के कवियों ने राम और कृष्ण के लोकरंजक रूपों का वर्णन करके लोक मंगल पर बल दिया है।

                                   अथवा

प्रश्न .छायावाद की दो विशेषताएँ तथा दो छायावादी कवियों के नाम लिखिए-

उत्तर-(1) डॉ. नगेन्द्र  (2) डॉ. रामकुमार वर्मा

 (1) सौन्दर्य तथा प्रणय-भावनाओं का प्राधान्य

(2) भाषा में लाक्षणिकता तथा वक्रता की प्रमुखता

प्रश्न 7. शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यजित करना चाहता है ?

उत्तर – शायर फ्रिाक् गोरखपुरी राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह भाव व्यंजित करना चाहता है कि रक्षाबन्धन का पावन पर्व सावन मास में मनाया जाता है। इस माह में आकाश में बादल छाये रहते हैं और जोरदार बारिश होती है। बारिश के दौरान बादलों के बीच में जिस प्रकार बिजली चमकती है, उसी प्रकार बहिनें अपनी भाइयों की कलाई पर चमकते धागों वाली राखियाँ बाँधकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। भाई भी आजीवन अपनी बहनों की रक्षा का व्रत लेते हैं।

 अथवा

प्रश्न .भाषा को सहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- भाषा को सहूलियत से बरतने का अर्थ यह है कि रचनाकार भावों के अनुरूप ही सरल, सहज एवं सुग्राह्य शब्दावली का प्रयोग करें। अनावश्यक आडम्बरपूर्ण गूढ़ शब्दांवली कथ्य के प्रभाव को कम करती है और इससे कविता अपने उद्देश्य से भटक जाती है। क्लिष्ट भाषा के दुष्चक्र में फँसे बिना कवि को सरलतम शब्दों में अपनी बात अपने श्रोताओं एवं पाठकों तक पहुँचानी चाहिए।

प्रश्न 8. जीवनी और आत्मकथा में दो अंतर लिखिए?

उत्तर- (1) आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की कथा पाठकों के सामने प्रस्तुत करता है जबकि जीवनी में लेखक इतिहासकार की तरह पूरी सच्चाई से किसी व्यक्ति के जीवन

की जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी घटनाओं के बारे में लिखता है।

(2) जीवनी लेखन में लेखक तटस्थ रहकर लिखता है। आत्मकथा में लेखक अपने जीवन की घटना का वर्णन अपनी स्मरण शक्ति के आधार पर करता है

अथवा

प्रश्न . निबन्ध को गद्य की कसौटी क्यों कहा गया है ?

उत्तर-इस कथन का तात्पर्य यह है कि पद्य की तुलना में गद्य रचना सम्पन्न करना दुष्कर कार्य है, क्योंकि अगर आठ पंक्तियों वाली कविता में यदि एक भी पंक्ति भावपूर्ण लिख जाती है तो कवि प्रशंसा का भागी होता है, परन्तु गद्य के सन्दर्भ में ऐसा नहीं देखा जाता। गद्यकार को एक-एक वाक्य सुव्यवस्थित एवं सोच-विचारकर लिखना होता है। उसी स्थिति में गद्यकार प्रशंसनीय है। गद्य में निबन्ध लेखन बहुत ही दुष्कर कार्य है। निबन्ध को सुरुचिपूर्ण, आकर्षक एवं व्यवस्थित होना चाहिए। इसी हेतु निबन्ध को गद्य की कसौटी कहा गया है

प्रश्न 9. लेखक के मत से ‘दासता’ की व्यापक परिभाषा क्या है ?

उत्तर-लेखक के मत में जब किसी व्यक्ति को अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती तो यह भी ‘दासता’ का व्यापक रूप है अर्थात् पेशा चुनने की स्वतंत्रता न होना ‘दासता’ है। कानूनी पराधीनता ही ‘दासता’ नहीं होती। जब किसी व्यक्ति या वर्ग के द्वारा अन्य व्यक्ति के पेशे, कार्य तथा कर्त्तव्य निर्धारित किए जाते हैं तो यह स्थिति भी ‘दासता’ है।

                               अथवा

प्रश्न . ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था ?

उत्तर-सर्दी का मौसम, अमावस्या की ठण्डी और काली रात में हैजे मलेरिया से पीड़ित पूरा गाँव भयार्त्त शिशु की तरह काँप रहा था। चारों ओर अँधेरा व सन्नाटा छाया हुआ था। रात्रि की इस विभीषिका को ढोलक की आवाज़ संध्या से प्रातः तक ताल ठोककर ललकारती रहती थी। जिससे मृतप्रायः गाँव को संजीवनी मिल जाती थी। स्पंदन-शक्ति-शून्य स्नायुओं में बिजली दौड़ जाती थी। मरते व्यक्ति को मृत्यु से भय नहीं होता था। ग्रामीणों में जीवंतता भरती थी। सन्नाटे में जिन्दगी के होने का अनुभव कराती थी।

प्रश्न 10.बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है।“ का भाव-पल्लवन लिखिए?

उत्तर:-भाव-पल्लवन-बैर का उद्गम स्थल क्रोध है। क्रोध ही आगे चलकर बैर में परिणत हो जाता है। जब कोई इन्सान किसी का अहित करता है तब अन्य मनुष्य जिसका अहित किया है, वह भी क्रोध के वशीभूत होकर इसके बदले में अहित करने के लिए उद्यत हो जाता है। यदि वह बदला (प्रतिकार) लेने में असफल सिद्ध होता है तो उसका क्रोध बहुत काल तक उसके हृदय में बना रहता है। प्रतिकार कर लेने पर क्रोध का शमन हो जाता है। बहुत समय तक विद्यमान रहने वाले क्रोध को ही बैर की कोटि में स्थापित किया गया है। क्रोध के बैर बनने की प्रक्रिया के फलस्वरूप ही इसे क्रोध का अचार या मुरब्बे की संज्ञा से विभूषित किया गया है। जिस प्रकार विशेष ढंग से तैयार किया गया मुरब्बा अधिक टिकाऊ बन जाता है, वैसे ही बहुत समय तक हृदय में स्थित क्रोध बैर का रूप धारण कर लेता है।

अथवा

प्रश्न.निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्य प्रयोग कीजिए ?

1.खून के घूँट पीना,   2.पहाड़ टूटना ।

उत्तर:-

1.खून के घूँट पीना- चुपचाप अपमान सहन करना।

प्रयोग – अध्यापक द्वारा बेकसूर छात्र को पीटे जाने पर भी वह खून का घूँट पीकर रह गया

2.पहाड़ टूटना – मुसीबत आना।

प्रयोग-उस पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा।

प्रश्न 11.निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तित कीजिए-

(i)    दरिद्र होने पर भी वह ईमानदार है।(संयुक्त वाक्य)

(ii)   मोहन पुस्तक पढ़ रहा है।(प्रश्नवाचक)

उत्तर- (i) यद्यपि वह दरिद्र है परन्तु ईमानदार है। (ii) क्या मोहन पुस्तक पढ़ रहा है ?

अथवा

प्रश्न . राजभाषा किसे कहते हैं ? भारत की राजभाषा कौन-सी है ?

उत्तर – ‘राजभाषा’ यानी सरकारी कामकाज की भाषा अथवा भारतीय संघ की भाषा है। भारत का संविधान बनाते समय हिंदी को राजभाषा माना गया। सात राज्यों में हिंदी राजभाषा है, शेष राज्यों में अपनी-अपनी प्रदेशों की भाषाएँ हैं।

राजभाषा बनाने के लिए सरकारी कामकाज इसी भाषा में होना चाहिए। शिक्षा का माध्यम, कार्य के निर्णय, रेडियो और दूरदर्शन में राजभाषा का प्रयोग होना चाहिए।

प्रश्न 12. अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने प्रकार होते हैं ?

उत्तर – अर्थ के आधार पर वाक्य के कुल आठ प्रकार – (1) विधिवाचक, (2) निषेधवाचक,(3) आज्ञाबोधक, (4) प्रश्नवाचक, (5) विस्मयादिबोधक, (6) इच्छाबोधक, (7) सन्देहसूचक, तथा(8) संकेतार्थक होते हैं।

अथवा

प्रश्न . विपरीतार्थक शब्द-युग्म क्या होते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- विपरीतार्थक शब्द-युग्म-जब किसी शब्द-युग्म में विलोम अथवा विपरीत (2) अर्थ के शब्दों का प्रयोग किया जाता है, तो शब्दों के ऐसे युग्म को ‘विपरीतार्थक शब्द-युग्म’ कहते हैं।

उदाहरण-जीवन-मरण, आकाश-पाताल, नवीन-प्राचीन, सुबह-शाम, हानि-लाभ, उठना-बैठना, ऊँच-नीच, देव-दानव, छोटा-बड़ा, माता-पिता, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, अमीर-गरीब, दिन-रात, थोड़ा-बहुत, लेना-देना इत्यादि ।

प्रश्न 13.कोई दो तकनीकी शब्द लिखिए।

उत्तर-ऊतक, रेखाचित्र ।

अथवा

प्रश्न 1.3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए-

  • उसके पास केवल मात्र दो सौ रुपये हैं।

(ii) पिता का पुत्र में विश्वास है।

उत्तर- (i) उसके पास मात्र दो सौ रुपये है।

(ii) पिता को पुत्र पर विश्वास है।

प्रश्न.14 काव्य में ओज गुण किसे कहते हैं ?

उत्तर:-ओज-जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से चित्त की उत्तेजना वृत्ति जाग्रत हो, वह रचना ओज गुण सम्पन्न होती है।

उदाहरण- “बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।“

अथवा

प्रश्न .लक्षणा शब्द-शक्ति की परिभाषा और उदाहरण लिखिए।

लक्षणा – शब्द के मुख्य अर्थ में बाधा होने पर उसके सहयोग से रुढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर अन्य अर्थ लक्षित कराने वाले शब्द-शक्ति लक्षणा कहलाती है; ।

जैसे- ‘मोहन तो शेर है’ में लक्षणा के द्वारा शेर का अर्थ वीर निकलता है।

प्रश्न 15.स्थायी भाव तथा संचारी भाव में अन्तर बताइए ।

उत्तर-(1) स्थायी भाव मानव के हृदय में सदैव विद्यमान रहते हैं। इनका अस्तित्व देर तक बना रहता है। इसके विपरीत संचारी भाव क्षणिक होते हैं, बनते एवं नष्ट होते रहते हैं। (2) हर रस का स्थायी भाव पूर्व में ही निर्धारित एवं नियत है, परन्तु संचारी भाव, अवलोकनीय है। इसीलिए विद्वानों ने संचारी भाव को व्यभिचारी भाव की संज्ञा से भी विभूषित किया है।

अथवा

प्रश्न . डॉ. नगेन्द्र ने बिम्ब को किन शब्दों में परिभाषित किया है ?

उत्तर-डॉ. नगेन्द्र के अनुसार-“ काव्य बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है जिसके मूल में भाव की प्रेरणा रहती है।“

प्रश्न 16. हरिवंश राय बच्चन

रचनाएँ – (1) ‘तेरा हार’ (2)’मधुशाला’

भाव पक्ष – हरिवंश राय बच्चन की प्रारम्भिक कविताओं में, विशेषकर मधुशाला में। अर्थ-विस्तार पाता है

कला पक्ष—हरिवंश राय बच्चन की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है। संस्कृत की तत्सम शब्दावली का आपकी रचनाओं में प्रचुरता में प्रयोग हुआ है। साथ-ही-साथ, तद्भव शब्दावली, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी इत्यादि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी देखने को मिलता है। आपने सदैव सीधी-सादी जीवन्त भाषा को ही अपनाया।

साहित्य में स्थान – ‘हालावाद’ के प्रवर्तक कवि हरिवंश राय बच्चन शुष्क एवं नीरस विषयों को भी सरस ढंग से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त थे। वे छायावादोत्तर युग के प्रख्यात कवि हैं। हरिवंश राय बच्चन जैसे महान और उच्चकोटि की विचारधारा वाले कवि कई सदियों में जन्म लेते हैं। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में सफल लेखनी से हिंदी साहित्य की अभूतपूर्व सेवा की है। हिंदी साहित्य में उनका स्थान अद्वितीय है।

अथवा  (रघुवीर सहाय)

रचनाएँ – (1)काव्य संग्रह-‘सीढ़ियों पर धूप में’ (2) ‘आत्महत्या के विरुद (3), ‘हँसो-हँसो जल्दी

भाव पक्ष- रघुवीर सहाय ने समकालीन समाज का यथार्थ चित्रण किया है। इनके काव्य में सामाजिक यथार्थ के प्रति विशिष्ट सजगता दृष्टिगोचर होती है। इन्होंने सामाजिक व्यवस्था, शोषण, विडम्बना आदि का यथार्थ चित्रण किया है।

कला पक्ष – रघुवीर सहाय की भाषा शुद्ध, साहित्यिक खड़ी बोली है जिसमें संस्कृत के तत्सम, तद्भव और विदेशी भाषाओं के शब्दों का भी समायोजन हुआ है। वास्तव में इनकी भाषा सरल, साफ-सुथरी एवं सधी हुई है। इनकी भाषा नगरीय (शहरी) होते हुए भी सहज व्यवहार वाली है।

साहित्य में स्थान – रघुवीर सहाय एक लम्बे समय तक याद रखे जाने वाले कवि हैं। सहाय राजनीति पर कटाक्ष करने वाले कवि थे। मूलतः उनकी कविताओं में पत्रकारिता के तेवर और अखबारी अनुभव दिखाई देता है। भाषा और शिल्प के मामले में उनकी कविताएँ नागार्जुन की याद दिलाती हैं। हिंदी साहित्य में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनके इस विलक्षण योगदान के लिए साहित्य में उनका स्थान अत्यन्त उच्चकोटि का है।

प्रश्न 17. धर्मवीर भारती

रचनाएँ – (1) ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’,

(2)’गुनाहों का देवता’,

भाषा-आपकी भाषा में सरलता, सहजता, सजीवता व आत्मीयता का पुट है इसी कारण आपकी भाषा बोलचाल की खड़ी बोली है। आपकी भाषा में संस्कृत, देशज, उर्दू, अंग्रेजी व तद्भव शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

• शैली – धर्मवीर भारती ने विषय के अनुसार अपनी रचनाओं में अनेक प्रकार की ‘पलटू शैलियों का प्रयोग किया है।

साहित्य में स्थान-धर्मवीर भारती कवि होने के साथ कथाकार, निबन्धकार, एकांकीकार, आलोचक और नीर-क्षीर विवेकी सम्पादक थे। आपके द्वारा सम्पादित पत्रिका धर्मयुग नमः एक किंवदन्ती थी जिसमें सब कुछ उत्कृष्ट था। आपके प्रसिद्ध उपन्यास ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ पर श्याम बेनेगल ने फिल्म बनाई। ‘गुनाहों का देवता’ एक सदाबहार रचना है जो हिंदी की सबसे अधिक बिकने वाली पाँच पुस्तकों में से एक है। आपकी रचनाओं के लिए हिंदी साहित्य सदैव आपका ऋणी रहेगा।

अथवा  (हजारी प्रसाद द्विवेदी)

रचनाएं1) अशोक के फूल’, ‘(1)चारुचन्द्र लेख’, ‘

भाषा-शिक्षित परिवार से जुड़े होने के कारण आपकी भाषा परिमार्जित व परिष्कृत है। इसी कारण आपकी भाषा को ‘प्रसन्न भाषा’ कहते हैं। आपने संस्कृत, उर्दू व बोलचाल की भाषा के शब्दों का प्रयोग किया है। साथ ही, भाषा को बोधगम्य बनाने के लिए आपने सूक्तियों, मुहावरों व कहावतों का भी सटीक प्रयोग किया है।

शैली-द्विवेदी जी की शैली में विविधता देखने को मिलती है।

साहित्य में स्थान द्विवेदी जी उच्च कोटि के अनुसंधाता, आलोचक, निबन्ध लेखक भाग में और विचारक रहे। गद्य-साहित्य में आपका महत्वपूर्ण स्थान है। आपके साहित्य में पांडित्य की 967 में तुलना में बोधगम्यता अधिक मिलती है। आपने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने के साथ ही साथ उसे व्यावहारिक भी बनाया। साहित्य सेवाओं के लिए हिंदी साहित्य आपका हमेशा ऋणी रहेगा।

प्रश्न 18अभ्यास का महत्त्व

यदि निरन्तर अभ्यास किया जाए, तो असाध्य को भी साधा जा सकता है। ईश्वर ने सभी मनुष्यों को बुद्धि दी है। उस बुद्धि का इस्तेमाल तथा अभ्यास करके मनुष्य कुछ भी सीख सकता है। अर्जुन तथा एकलव्य ने निरन्तर अभ्यास करके धनुर्विद्या में निपुणता प्राप्त की। उसी प्रकार वरदराज ने, जो कि एक मन्दबुद्धि बालक था, निरन्तर अभ्यास द्वारा विद्या प्राप्त की और ग्रन्थों की रचना की। उन्हीं पर एक प्रसिद्ध कहावत बनी-

“करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान । रसरि आवत जात तें, सिल पर परत निसान ॥

“यानी जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कठोर पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं, उसी प्रकार निरन्तर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। यदि विद्यार्थी प्रत्येक विषय का निरन्तर अभ्यास करें, तो उन्हें कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा और वे सरलता से उस विषय में कुशलता प्राप्त कर सकेंगे।

अथवा

प्रश्न . संक्षेपण की विशेषताएँ अथवा गुण बताइए ।

उत्तर- एक अच्छे एवं सटीक संक्षेपण की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

(1)    स्पष्टता – इसमें लिखे गये विचार और भाव स्पष्ट होने चाहिए। संक्षेपण ऐसा होना चाहिए जिसमें मूल भाव संक्षिप्त करते समय स्पष्टता बनी रहे।

(2)   शुद्धता – संक्षेपण के भाव और भाषा शुद्ध होनी चाहिए।

(3)   भाषा की सरलता – संक्षेपण की भाषा सरल होनी चाहिए। इसमें क्लिष्ट भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

प्रश्न कृमांक 19 का उत्तर

उत्तर- (क) ‘फूल और काँटों’ से कवि का तात्पर्य है- लाभ और हानि ।

(ख) स्मृति = विस्मृति; अज्ञान = ज्ञान ।

(ग) तलवार की धार तेज होती है।

(घ) शीर्षक-‘ विज्ञान से सजगता’।

(ङ) भावार्थ-विज्ञान तलवार के समान घातक है जबकि मानव अब भी ब समान अज्ञानी है, उसे अपने लाभ-हानि का कोई ज्ञान नहीं है। इसलिए मानव को सोच- विज्ञान का प्रयोग करना चाहिए, अन्यथा विज्ञान उसे नुकसान पहुँचा सकता है।

अथवा उत्तर

उत्तर- (क) शीर्षक-‘ सच्चा मित्र’।

(ख) मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।

(ग) समाज से अलग मनुष्य के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 20 का उत्तर

संदर्भ-प्रस्तुत सवैया हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में संकलित ‘कवितावली’ के उत्तर काण्ड’ से उद्धृत है। इसके रचयिता ‘तुलसीदास जी’ हैं। ‘

प्रसंग-प्रस्तुत सवैया छंद में रामभक्त तुलसीदास जी ने राम के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का वर्णन किया है।

भावार्थ-रामभक्त तुलसीदास जी कहते हैं कि लोग उन्हें चाहे त्यागा हुआ कहें या संन्यासी, जाति से राजपूत समझें या जुलाहा, मुझे इन सबसे कोई असर नहीं पड़ता। मुझे अपनी जाति अथवा नाम की कोई चिन्ता नहीं है क्योंकि मुझे किसी की बेटी से अपने बेटे का विवाह नहीं करना है और न ही किसी की जाति बिगाड़नी है। मैं तो भगवान राम का दास तुलसीदास हूँ। कोई और यदि मुझे किसी और नाम से पुकारे तो पुकार सकता है। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। तुलसीदास जी साधु प्रवृत्ति के अनुरूप आगे कहते हैं कि मैं तो भिक्षा माँगकर अपनी भूख शान्त करता हूँ और मस्जिद में सोता हूँ। जातिवाद और नाम के बंधन में फँसे इन लोगों से मुझे कुछ भी लेना-देना नहीं है।

प्रश्न 21. का उत्तर

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ के संस्मरणात्मक रेखाचित्र ‘भक्तिन’ से अवतरित है। इसकी लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ हैं।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश में बताया गया है कि भक्तिन के जेठ का बड़ा बेटा विधवा बहर का विवाह अपने तीतर लड़ाने वाले साले के साथ करवाना चाहता था परन्तु भक्तिन व उसकी (म बेटी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।

व्याख्या – भक्तिन की बड़ी बेटी युवावस्था में ही विधवा हो गई जिससे जेठों के बेटों

को चाची की सम्पत्ति हड़पने का अवसर मिल गया। अतः बड़े जेठ का लड़का (जिठौत) अपने तीतरबाज साले से विधवा बहन का विवाह कराकर उसकी सम्पत्ति का अधिकारी बनने की सोचने लगा। लेकिन बुद्धिमान माँ की बुद्धिमान विधवा पुत्री ने उस तीतरबाज को नापसंद कर दिया। उधर किसी बाहर के बहनोई को परिवार के सदस्यों ने नहीं आने दिया जिस कारण विधवा बहन के विवाह की बात ही टल गई। माँ-बेटी दोनों खूब मन लगाकर मेहनत करने लगीं जिससे उनकी सम्पत्ति की रक्षा हो सके परन्तु भक्तिन व बेटी के भाग्य में सुख नहीं था। तीतरबाज साले को जेठ के लड़के साम-दाम-दण्ड-भेद किसी भी प्रकार से चचेरी बहन का पति बनाने में लगे थे। वे अनचाहे बहनोई को अपनाने की युक्तियाँ सोचने लगे

प्रश्न 22 का उत्तर

सेवा में

प्राचार्य महात्मा

गाँधी विद्यालय, रीवा।

विषय-निर्धन छात्र कोष से छात्रवृत्ति हेतु आवेदन-पत्र ।

महोदय,

मुझे ज्ञात हुआ है कि इस वर्ष विद्यालय द्वारा कक्षा 12 में पढ़ रहे कुछ निर्धन एवं मेधावी छात्रों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाएँगी। इस सन्दर्भ में, मैं आपकी सेवा में अपना यह आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ।

मैंने वर्ष 2022 में माध्यमिक शिक्षा मण्डल, मध्य प्रदेश की हाईस्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तथा विज्ञान एवं गणित विषयों में मैंने 80% से अधिक अंक प्राप्त किये हैं। कक्षा 11 की वार्षिक परीक्षा में मैंने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मैं विद्यालय की ओर से जनपदीय क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में सक्रिय भाग लेता रहा हूँ। मैं एक सामान्य कृषक परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण मुझे पढ़ाने में मेरे पिताजी को कठिनाई हो रही है। मुझे आशा है कि आप मेरे आवेदन-पत्र पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए छात्रवृत्ति प्रदान करने की महती कृपा करेंगे। इसके लिए मैं आपका आजीवन ऋणी रहूँगा।

दिनांक : 10.02.2024

आपका आज्ञाकारी शिष्य

संजीव सिंह

कक्षा 12 (अ)

अथवा उत्तर

प्रश्न . हाईस्कूल परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर मित्र को बधाई-पत्र लिखिए।

उत्तर-

27/112, गुलमोहर कालोनी,

 ग्वालियर

 दिनांक : 05.02.2024

प्रिय मित्र नवीन, सस्नेह नमस्कार ।

आज दैनिक पत्र में हाईस्कूल परीक्षा का परिणाम देखा। आपका अनुक्रमांक प्रथम श्रेणी में देखकर मेरा मन मयूर-मस्त होकर नृत्य करने लगा। आपका प्रावीण्य सूची में तृतीय स्थान है। इससे आप ही नहीं, शाला तथा हम लोग भी गौरवान्वित हुए हैं। अतः बधाई स्वीकार हो। मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि वह इसी प्रकार आपको सदैव सफलताएँ प्रदान करता रहे और आप सुन्दर सम्पन्न जीवन में विहार करते रहें।

आपका मित्र

श्रीकान्त वर्मा

प्रश्न 23 का उत्तर

विद्यार्थी और अनुशासन

[रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) अनुशासन का आशय , (3) अनुशासन के प्रकार,

(4)   अनुशासन के लाभ, (5) उपसंहार ।]

प्रस्तावना-नियमों से बँधा हुआ जीवन ही सफल तथा आदर्श माना गया है। इस प्रकार नियमों का पूरी तरह से पालन करना ही अनुशासन की संज्ञा से विभूषित किया जाता है।

अनुशासन का आशय – ‘ अनुशासन’ शब्द अनु + शासन, इन दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसका आशय है शासन के पीछे-पीछे चलना अर्थात् शासन का पूरी तरह से अनुसरण करना।

अनुशासन के प्रकार – अनुशासन दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है। इनमें से प्रथम आन्तरिक तथा द्वितीय बाह्य है। बाहरी अनुशासन प्रताड़ना, भय एवं प्रलोभन पर आधारित होता है। इस प्रकार का अनुशासन कदापि स्थायी नहीं रह पाता। दूसरे प्रकार का अनुशासन जो आन्तरिक है, इसे आत्मानुशासन के नाम से पुकारा जाता है। आन्तरिक अनुशासन को आत्म नियन्त्रण भी कह सकते हैं। आन्तरिक अनुशासन ही चिरस्थायी होता है। इसके माध्यम से मन बुद्धि एवं शरीर पर पूरी तरह से ऐसे संस्कार पड़ते हैं जो स्वतः ही मानव को अनुशासन के पथ पर कदम बढ़ाने के लिए विवश कर देते हैं।

अनुशासन के लाभ-देश एवं समाज की प्रगति, संवृद्धि एवं खुशहाली में अनुशासन का महत्त्वपूर्ण योगझन है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्यार्थी अनुशासन से आदर्श संस्कार ग्रहण करता है। ये उसकी सफलता की कुंजी है। अनुशासन का पालन करते हुए सैनिक देश की रक्षा करते हैं, कर्मचारी एवं अधिकारीगण अपने उत्तरदायित्वों का भली प्रकार निर्वाह करते हैं। इस प्रकार, जीवन के हर एक क्षेत्र में, विशेषकर विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन ध्रुव तारे के समान है।

उपसंहार – अनुशासित व्यक्ति सभी का विश्वासपात्र होता है व दुरूह कार्यों को आसानी से सम्पन्न करने में सक्षम होता है। भारत का प्राचीन इतिहास इस बात का साक्षी है कि अनुशासन के पथ पर चलने के फलस्वरूप ही भारत ने विश्व में यश तथा गौरव प्राप्त किया या था।

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Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024

विद्यार्थियों आइए जानते हैं वार्षिक परीक्षा परीक्षा 2024 में क्या-क्या लेकर जाना है

  • काले और नीले के दो-दो पेन लेकर अवश्य जाना है
  • एक  ट्रांसपेरेंट पानी की बॉटल लेकर जाना है
  • गणित के पेपर में संबंधित सामग्री लेकर अवश्य जाना है
  • विद्यालय में परीक्षा के 1 घंटे पहले पहुंचना अनिवार्य है

Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024 Solution PDF link

  • Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024 की PDF Free OF COST आपको प्रोवाइड करा रहा हूं 
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  • विज्ञापन पर क्लिक करने के पश्चात डाउनलोड (LINK एक्टिवेट) हो जाएगी
  • इसके पश्चात 20 से 25 सेकंड का टाइमर चलेगा
  • इसके पश्चात  डाउनलोड का हरा बटन नजर आयगा उस पर क्लिक कर देना होगा
  • इसके पश्चात फाइल डाउनलोड हो जाएगी

NOTE :25 सेकंड के बाद ही आपको हरा कलर का डाउनलोड का बटन दिखेगा

Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024

तो विद्यार्थियों में उम्मीद कर रहा हूं अभी तक आप सभी को Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024 तथा पेपर का फुल सोल्यूशन मिल चुका होगा मैंने PDF भी आप सभी को प्रोवाइड कराई है ताकि आप सभी को कोई भी समस्या ना हो लगातार आपके कमेंट आते रहते हैं कि सर हमें PDF भी दिया करो हमें बहुत ज्यादा समस्या होती है फाइनली मैं आप सभी को पीडीएफ भी प्रोवाइड कर दी है अब आप सभी को इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों तक शेयर करना है जिससे कि सभी की हेल्प हो पाएगी और आपको जल्दी से जल्दी मैं पेपर प्रोवाइड कर पाऊंगा आप हमारे सोशल मीडिया लिंक से भी जुड़ सकते हैं सारे लिंक में आपको प्रोवाइड करा दे रहा हूं

Class 12th SET B Hindi vaarshik paper 2024

प्रश्न . राजभाषा किसे कहते हैं ? भारत की राजभाषा कौन-सी है ?

उत्तर – ‘राजभाषा’ यानी सरकारी कामकाज की भाषा अथवा भारतीय संघ की भाषा है। भारत का संविधान बनाते समय हिंदी को राजभाषा माना गया। सात राज्यों में हिंदी राजभाषा है, शेष राज्यों में अपनी-अपनी प्रदेशों की भाषाएँ हैं।
राजभाषा बनाने के लिए सरकारी कामकाज इसी भाषा में होना चाहिए। शिक्षा का माध्यम, कार्य के निर्णय, रेडियो और दूरदर्शन में राजभाषा का प्रयोग होना चाहिए।

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